. इंदौर का होलकर साइंस कॉलेज को नैक द्वारा किए गए सर्वे में ए डबल प्लस से सम्मानित किया गया है. बता दें यह सम्मान पहली बार किसी सरकारी कॉलेज को दिया गया हैहोलकर साइंस कॉलेज अपनी आटोनॉमस शिक्षा प्रणाली और छात्रों के लिए शिक्षण की व्यवथाओं को लेकर यह सम्मान दिया गया है.
आपको बता दें कॉलेज के सर्वेक्षण के लिए नैक की टीम जनवरी माह गई थी. इस दौरान नैक के अधिकारियों ने महाविद्यालय की बिल्डिग से लेकर शिक्षण सुविधाओं का निरीक्षण किया था. कॉलेज ने तीन सालों में पांच नई बिल्डिंगें, 10 अत्याधुनिक लैब, और चार नए कोर्सेज शुरू किए हैं, जो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक प्रयास हैं. साथ ही, कॉलेज में साइबर सिक्योरिटी सेंटर भी बनाया गया है जो विद्यार्थियों को नवीनतम तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है.
ऐसे तय होता है कॉलेजों का ग्रेड
सबसे पहले शिक्षण संस्थान नैक की गुणवत्ता पर खरा उतरने के लिए तैयारी करते हैं. इसके बाद संस्थान नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करते हैं. आवेदन करने के बाद नैक की टीम संस्थान का दौरा करती है. उसका निरीक्षण करती है.इस दौरान टीम कॉलेज में शिक्षण सुविधाएं, नतीजे, इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉलेज का माहौल जैसी का निरीक्षण करती है, इसी आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करती है. इससे कॉलेज को सीजीपी, दिया जाता है और इसी के आधार पर ग्रेड जारी होते हैं.
कॉलेज के शिक्षा सुविधाओं की बात करें तो यहा पर 105 नियमित और 200 से ज्यादा शिक्षकों की फैकल्टी हैं, जिन्होंने शिक्षा और अनुसंधान में शानदार योगदान दिया है.वहीं कॉलेज से 435 शोधार्थी पीएचडी कर चुके हैं और 38 बीएससी.एमएससी कोर्सेज़ शामिल हैं.कॉलेज में 20 से ज्यादा स्मार्ट क्लासरूम और 10 अत्याधुनिक लैब हैं. इसके साथ ही खेलकूद के लिए विशाल ग्राउंड की सुविधा है.
स्टूडेंट्स को होंगे ये फायदे
नैक रेटिंग से स्टूडेंट्स को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलती है. छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है. नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कॉलेज तलाश कर सकते हैं. इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं.