घोटालों से भरा हुआ है इंदौर के शॉपिंग मॉल्स का इतिहास

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अर्जुन राठौर
हाल ही में नगर निगम द्वारा इंदौर (Indore) के बहुचर्चित और विवादास्पद C21 मॉल की नपती की गई है। नगर निगम द्वारा यह नपती मॉल में किए गए अवैध निर्माण को लेकर की गई है लेकिन माल का इतिहास देखा बेहद ही घोटालों से भरा हुआ है।

इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा चाय व्यापारियों को जो दुकानें आवंटित की गई थी उनमें से पांच दुकानों की लीज डीड का दुरुपयोग करके इस मॉल का निर्माण किया गया है इस पूरे मामले को लेकर इंदौर विकास प्राधिकरण से लेकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने इस बात को अनदेखा किया है कि आईडीए द्वारा आवंटित प्लाटों की लीज डीड में भूमि का उद्देश्य चाय व्यापार है ऐसी स्थिति में इन प्लाटों को संयुक्त करके मॉल्स का निर्माण कैसे किया जा सकता है ?

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सबसे ज्यादा शर्मनाक भूमिका इंदौर के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की रही है जिसने इस तथ्य की अनदेखी करके आपराधिक भूल की है । अब बात करते हैं टीआई मॉल की जिसका निर्माण आवासीय भूमि पर किया गया था और जिसे बाद में व्यवसायिक किया गया इस पूरे मामले को लेकर लोकायुक्त तथा आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा द्वारा हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रप्रकाश शेखर सहित अनेक अधिकारियों पर अपराधिक मुकदमे भी दर्ज किए गए टीआई के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गई है।

इसके बाद नंबर आता है सेंट्रल मॉल का जहां पर झाबुआ महाराज का बंगला था और इसी भूमि पर सेंट्रल मॉल का निर्माण किया गया इस मॉल के निर्माण में भी गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं इससे यह स्पष्ट होता है कि इंदौर के तमाम मॉल्स घोटालों के साथ ही बने हैं देखा जाए तो इंदौर में सिर्फ सिटी सेंटर ही कायदे और कानून से बनाया गया है जिसमें पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था के साथ ही नक्शे के अनुरूप कार्य किए गए हैं।

एबी रोड पर मंगल माल भी पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर खड़ा है बीच में तो इस मॉल के एक हिस्से की बैंक ने नीलामी भी निकाल दी थी इसके अलावा इस मॉल के दुकानदार भी परेशान होकर दुकानों को खाली कर चुके हैं बचा खुचा कोरोना ने 2 साल में इस माल को भी पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया है ।