12 बरस से मरीज की खुद की स्पलीन (तिल्ली), पी रही थी खून

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By Shivani RathorePublished On: May 4, 2024

16 साल में ,लीवर के पास 200 ग्राम की स्पिलिन यानी तिल्ली 2 किलो की हो गई थी

28 वर्षोय युवक का हीमोग्लोबिन 4.6 और प्लेटलेट 30, 000 ही बचे थे

12 बरस से मरीज की खुद की स्पलीन (तिल्ली), पी रही थी खून

एमवाय हॉस्पिटल में 5 घण्टे चला जटिल ऑपरेशन

इंदौर। एमवाय हॉस्पिटल में सर्जरी विभाग की टीम हर दिन जटिल से जटिल ऑपरेशन कर चिकित्सा जगत को चोंकाने का काम कर रही है। कल सर्जरी टीम ने जंहा , एक मरीज के पेट मे से 17 किलो से ज्यादा वजनदार कैंसर की गठान निकाली थी तो वंही आज 28 वर्षीय युवक के लिवर के पास से स्प्लीन यानी तिल्ली का ऑपरेशन कर मरीज की जान बचा ली ।

सर्जरी टीम का निर्देशन कर रहे सर्जन डॉक्टर अरबिंद घनघोरिया ने बताया कि काला पीपल निवासी 28 वर्षीय युवक को 12 साल से लीवर पास वाली तिल्ली जिसे मेडिकल भाषा मे स्पिनिल कहते है यह शरीर के रक्त को साफ और संतुलित बनाने की भूमिका निभाती है ।

यह लगभग 200 ग्राम की होती है मगर यह तिल्ली अपने शरीर के मालिक यानी मरीज का खून पी कर 2 किलो की आकार की हो गई थी । इस वजह खून के में जरूरी श्वेत और लाल रुधिर कणिकाओं का न सिर्फ सिस्टम गड़बड़ा गया था बल्कि मरीज के अंदर हिमोग्लोबिन 4.6ग्राम, श्वेत रक्त कोशिका 3000 प्रति माइक्रो लीटर तथा प्लेटलेट सिर्फ16000 प्रति माइक्रो लीटर शेष था। मरीज दिलीप यह तकलीफ 12 साल से भोग रहा था। उसे हमेशा थकान बनी रहती थी हमेशा संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना रहता था क्योकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लगभग खत्म हो चुकी थी। अरविंद घनघोरिया की टीम ने हाईब्रीड तरीके से यह जटिल ऑपरेशन कर उसको नई जिंदगी दे दी । ऑपरेशन के दौरान 6 यूनिट प्लेटलेट और 4 यूनिट ब्लड मरीज को चढ़ाया गया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

क्या होती है तिल्ली (स्पिनिल)

तिल्ली शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह रक्त में बैक्टीरिया, वायरस या अन्य कीटाणुओं का पता लगाता है, तो यह इनके कारण होने वाले संक्रमण से लड़ने के लिए लिम्फोसाइट्स नामक सफेद रक्त कोशिकाए बनाती है है।