सांप का ज़िक्र होते ही अधिकतर लोगों में डर की लहर दौड़ जाती है। यह एक ऐसा जीव है, जिसके डंसने पर ज़हर तेजी से शरीर में फैलता है और कई बार जानलेवा भी साबित होता है। हालांकि, कुछ प्रजातियों के ज़हर का असर धीरे-धीरे होता है। आमतौर पर लोग सांप को बेहद खतरनाक मानते हैं और उनसे दूरी बनाए रखते हैं। सांपों को लेकर समाज में कई तरह की मान्यताएं और धारणाएं फैली हुई हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से भी सांपों को पूजनीय माना गया है और उन्हें मारना अशुभ तथा पाप के समान समझा जाता है।
सांप के ज़हर को शरीर से निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इसके लिए विशेष प्रकार की जड़ी-बूटियों और पारंपरिक उपचार की आवश्यकता होती है। लेकिन आधुनिक दौर में ऐसे उपाय तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाते, जिस वजह से ज़हर का असर जानलेवा बन जाता है और कई मामलों में इससे मृत्यु हो जाती है।

ऊंट के आंसू
असल में, वह जानवर ऊंट है, जो दुनिया की सबसे कठिन जलवायु—रेगिस्तान—में पाया जाता है। ऊंट को ‘रेगिस्तान का जहाज़’ कहा जाता है क्योंकि यह बिना पानी के कई दिनों तक तपते रेतीले इलाकों में सफर कर सकता है। इसकी खास क्षमताओं ने ही इसे अलग पहचान दी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ऊंट के आँसू में विशेष जैविक तत्व पाए गए हैं जो साँप के ज़हर को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं। एक शोध में यह सामने आया है कि ऊंट के केवल एक बूंद आँसू से 26 साँपों का ज़हर बेअसर किया जा सकता है। इस चौंकाने वाले तथ्य की पुष्टि दुबई की सेंट्रल वेटरनरी रिसर्च लैबोरेटरी द्वारा की गई है।
एक बूँद आंसू कर दे 26 साँपों के ज़हर को बेअसर
जी हाँ ऊँट के आँसू की केवल एक बूंद से सांप का ज़हर निष्क्रिय किया जा सकता है। सुनने में यह अचंभित करने वाला तथ्य लग सकता है, लेकिन यह वैज्ञानिक शोधों पर आधारित है। खासकर उन छात्रों के लिए जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, यह जानकारी बेहद उपयोगी हो सकती है। साथ ही, सामान्य ज्ञान के दृष्टिकोण से भी यह विषय महत्वपूर्ण है। यदि कभी आप ऐसी किसी विषैली परिस्थिति का सामना करें, तो यह ज्ञान आपके लिए जीवनरक्षक साबित हो सकता है।
ऊंट के आंसुओं में छिपे विषनाशक औषधि
रिसर्च के मुताबिक, ऊंट के आंसुओं में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जिनमें एंटीडोट जैसी विशेषताएं पाई गई हैं, जो सांप के ज़हर को निष्क्रिय करने की क्षमता रखती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन आंसुओं से एक प्रभावी दवा विकसित की जा सकती है, जो सर्पदंश के इलाज में कारगर हो सकती है। हालांकि, इस विषय में अभी तक चिकित्सकों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस दिशा में गंभीरता से विचार चल रहा है।