संकट के दर्द से सबक वाला, चंगा मन की दवा है; निर्मला का निर्मल बजट

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गोविन्द मालू
(पूर्व उपाध्यक्ष खनिज निगम)

मन चंगा तो कठौती में गंगा वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए केंद्रीय बजट ने स्वास्थ्य और सेहत को अपनी मूल आत्मा बनाकर भारत के नागरिकों की सुरक्षा को शीर्ष पर रखा है।स्वास्थ्य, यातायात, सड़क, पर्यावरण और कृषि को इस बजट नें पहले से भरपूर दिया। पहली बार जल, जंगल, जमीन के लिए एक साथ बड़े समन्वित प्रावधान किए गए।

आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत योजना के लिए 64,180 करोड़ और वेक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ का बड़ा प्रावधान स्वागत योग्य है।
इसी के साथ पोषण मिशन, वाटर सप्लाई, शहरों के लिए जल जीवन मिशन सेहत के लिए पूरक उपाय हैं।
आधारभूत संरचना के लिए 20 हजार करोड़ का इंस्टिट्यूट बनाना आयरन, स्टील में कस्टम ड्यूटी कम करने से निर्माण और रोजगार का सृजन होगा।

टेक्स ऑडिट में छूट 5 से बढ़ाकर 10 करोड़ करने से लघु उद्योगों, व्यापारियों को राहत मिलेगी। ट्रांसपेरेंट के साथ ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने वाला बजट है, बस ट्रांसपोर्ट के लिए 20 हजार बसों का प्राविधान लोकल ट्रांसपोर्ट आम गरीब के लिए बेहद राहत वाला उपाय है।
वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 9.5% से घटाकर 6.5% करने का संकल्प राजकोषीय वित्तिय अनुशासन के साथ अनुत्पादक खर्चों को कम करने की उनकी चातुर्य की मिसाल होगा।

75 वें आजादी के वर्ष में आयकर से 75 वर्ष आयु के बुजुर्गों को छूट देना हमारी वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान और जवाबदेही को दर्शाता है।
बजट कठिन समय की चुनौतियों से पार पाकर आत्मनिर्भर भारत का शंखनाद है।