सरकारी नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति पर मध्यप्रदेश HC बड़ा फैसला, इन लोगों को नहीं मिलगी जॉब

srashti
Published on:

Anukampa Niyukti : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए दस्तावेज़ों में नामित व्यक्ति ही एकमात्र अधिकारी नहीं होता। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर याचिका पर यह निर्णय दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मृतक कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्यों को भी अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार हो सकता है, बशर्ते उनका दावा उचित हो।

पिता ने रिकॉर्ड में किया था अन्य व्यक्ति का नामांकन, याचिकाकर्ता का दावा खारिज

प्रवीण कोचक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनके पिता हीरालाल कोचक पीएचई विभाग में कार्यरत थे और कोरोना संक्रमण के कारण उनकी मृत्यु हुई। प्रवीण ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पिता ने विभागीय रिकॉर्ड में उन्हें नामित नहीं किया है।

दस्तावेज़ों के अनुसार, हीरालाल ने अपनी पत्नी उषा बाई का नाम नामांकित किया था, जबकि प्रवीण की मां शांति बाई थीं। विभाग ने हीरालाल की दूसरी पत्नी उषा बाई के पुत्र युवराज को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी।

दो पत्नियों का मामला आया सामने

सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि हीरालाल ने 1992 में शांति बाई से शादी की थी। हालांकि, 1994 से वे उषा बाई के साथ बिना शादी के रहने लगे थे। इस दौरान शांति बाई ने 2007 में भरण-पोषण के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हीरालाल को शांति बाई को ₹1,000 और उनके पुत्र प्रवीण को ₹500 प्रति माह भरण-पोषण राशि देने का आदेश दिया था।

High Court : बहुविवाह को मान्यता नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की अनुकंपा नियुक्ति नीति बहुविवाह को मान्यता नहीं देती है। सरकारी नौकरी के नियमों के अनुसार, कर्मचारी को अपनी पहली शादी और उससे संबंधित जानकारी को रिकॉर्ड में प्रस्तुत करना होता है। लेकिन हीरालाल ने अपनी पहली पत्नी शांति बाई की जानकारी छुपाई, जो नीति के विपरीत है।

कोर्ट ने कहा कि पहली पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों का दावा खारिज नहीं किया जा सकता। मृतक कर्मचारी के परिवार के किसी भी सदस्य का उचित दावा स्वीकार किया जा सकता है।