ग़ज़ल

Mohit
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ग़ज़ल

धैर्यशील येवले इंदौर –

कभी तेरी जवानी में ,सभी के ढंग थे यारा ।
कभी तेरी कहानी में ,सभी के
रंग थे यारा ।

वहा मेरी जमी तो है, वहा मेरी
कमी तो है ।
लुटा मेरा जहा तब वह ,पुराने
ढंग थे यारा ।

सुनो मेरी अभी कोई ,हमसफ़र
ने दिया धोका ।
बता मुझे खुदा क्या सभी , पराये
संग थे यारा ।

कभी सांसे टुटे तेरी , निगाहों से
कहे जाना ।
अभी रुको दिखेगा वो, उसी के
संग थे यारा ।

मिट्टी मेरी बुलाती है , मुझे माँ सी सुलाती है ।
थका हारा सो गया हूँ ,खुदा के
संग थे यारा ।