सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गांधी जी की जीवन शैली की जरूरत

diksha
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इंदौर। सिका (SICA) काॅलेज में सतत विकास के लक्ष्यों की चुनौतियां विषय पर नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस कांफ्रेंस में 80 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। रिसर्च पेपरों के संकलन (कांफ्रेंस प्रोसीडिंग्स) का विमोचन डीएवीवी की कुलपति डाॅ रेणु जैन ने किया। रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कुलपति डाॅ रेणु जैन ने कहा कि डीएवीवी ने सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में उल्लेखनीय काम किया है।

इसके तहत यूनिवर्सिटी में सोलर पैनल लगाए गए हैं जिससे पर्यावरण मित्र ऊर्जा मिल रही है। उन्होंने बताया कि सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आज गांधी जी की जीवन शैली की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पेड़, जानवरों की दुर्लभ प्रजातियों व वनस्पतियों को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में टेक्सस में रिसर्च के बाद ऐसा एंजाइम बनाया गया है जो प्लास्टिक को एक या दो दिन में विघटित कर देता है। इस रिसर्च के बाद अब प्लास्टिक का निपटान बहुत आसान हो जाएगा। इसके साथ ही हाइड्रोजन को विद्युत में बदलने में भी सफलता मिली है जिसका साइड प्रोडक्ट सिर्फ वाष्प है जो कि जलवायु के लिए बहुत मित्रवत है। इससे आने वाले दिनों में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री प्रदूषण रहित हो जाएगी। उन्होंने रिसर्च स्कॉलरों से कहा कि उन्हें रिसर्च में सदैव एथिक्स का ध्यान रखना चाहिए। जूनियर रिसर्च स्कॉलर को परेशान नहीं करना चाहिए । शोधार्थियों को प्लेजरिज्म से भी बचना चाहिए। इसके साथ ही गलत डाटा भी रिसर्च में नहीं लेना चाहिए।

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डीएवीवी के रेक्टर अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि आज के दौर में यदि हमने सतत विकास पर ध्यान नहीं दिया तो हमें इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। इसके लिए गरीबी हटाना, गैर बराबरी खत्म करना और लोगों को खाद्य सुरक्षा देने के साथ लोगों को हेल्दी लाइफ देना जरूरी है। इसके लिए सबके लिए शिक्षा के अवसर भी पैदा करने होंगे। सिका की चेयरपर्सन पद्मिनी खजांची ने कहा कि सिका ट्रस्ट ने हमेशा ही समाज कल्याण के लिए अपना योगदान दिया है। अगले कुछ सालों में कॉलेज का नया भवन भी तैयार हो जाएगा। उन्होंने सिका ट्रस्ट में शिक्षाविद डाॅ शांताराम, डाॅ वी गणेशन के योगदान की सराहना की। मैनेजिंग ट्रस्टी डॉक्टर विजयलक्ष्मी आयंगर ने सिका काॅलेज की पिछले 10 साल की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के स्टूडेंट्स ने लगातार डीएवीवी की मेरिट में स्थान हासिल किया है।

इस बार बीएजीएमसी की विद्यार्थी डीएवीवी में अव्वल रहीं हैं। इसके अलावा कामर्स की फाइल इयर की स्टूडेंट सीए की परीक्षा में सिटी टापर रही हैं। खेलों और यूथ फेस्टिवल में भी विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। कार्यक्रम को प्राचार्य तरनजीत सूद ने भी संबोधित किया। उन्होंने सतत विकास के लक्ष्यों का जिक्र करते हुए इन्हें हासिल करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। कार्यक्रम में एडवाइजर पी बाबूजी, ट्रस्टी एसएम अय्यर,ट्रेजरर कार्तिक शास्त्री, डायरेक्टर उषा कृष्णन भी शामिल हुईं। समापन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डीएवीवी की एसजेएमसी की प्रमुख डाॅ सोनाली नरगुंडे थीं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शोधपत्र वितरित किए। संचालन प्रोफेसर प्रतिभा सारस्वत ने किया।

कांफ्रेंस की कंवेनर डाॅ अपर्णा सिंह ने बताया कि कांफ्रेंस में 82 प्रतिभागी शामिल रहे । इसमें से 67 रिसर्च पेपरों को प्रकाशित किया गया। साइंस में 11, काॅमर्स में 8, मीडिया में 10, और ह्यूमैनिटीज में 14 पेपर प्रस्तुत किए गए। इस कांफ्रेंस में आगरा, मुंबई, गुजरात, ग्वालियर और भोपाल समेत कई शहरों से प्रतिभागियों ने शिरकत की। कांफ्रेंस की सेक्रेटरी प्रो वाग्मिता दुबे ने प्रतिभागियों, ट्रस्ट, फैकल्टी, विद्यार्थियों और स्टाफ के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में फैकल्टी प्रो. जितेंद्र चौधरी, प्रो अमृता पंडिया, प्रो. अंजु चौधरी, प्रो अनुराधा मिश्रा, प्रो माधवी आचार्य, प्रो. कामाक्षी गेहलोत, प्रो उर्मी पटवा, प्रो. दिनेश सालित्र, डाॅ जितेंद्र असाटी, प्रो. रंजना कानूनगो, प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री, प्रो. आशीष तिवारी, प्रो अभय नेमा, अमित पंडित, सुरेश पडगांवकर, अमरदत्त और स्वीटी साहू का सहयोग रहा।