इंदौर। नार्वे के पूर्व जलवायु एवं पर्यावरण ंमंत्री श्री एरिक सोलहेम के प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास के दौरान आज इंदौर आने पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा रेसीडेंसी कोठी पर सौजन्य भेंट की गई। इस दौरान महापौर जी द्वारा श्री एरिक का पुष्यगुच्छ देकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर अन्य डेलीगेशन के अलावा मुख्यमंत्री इंटर्न के दस सदस्यों का दल भी उपस्थित था।
नार्वे के पूर्व जलवायु एवं पर्यावरण एरिक सोलहेम ने महापौर श्री भार्गव से कहा कि इंदौर दौरे के दौरान यहां की स्वच्छता से में बहुत प्रभावित हुआ हूॅ, एअरपोर्ट से लेकर यहां तक मार्ग में किसी प्रकार का कोई कचरा मुझे नही दिखा। उन्होने महापौर से मिलते ही इंदौर की सफ़ाई की तारीफ़ करते हुए, कहा कि इंदौर वाकई में स्वच्छता में लगातार 6 बार स्वच्छ रहा है, यह सब कैसे हुआ, इस पर महापौर जी ने कहा कि इंदौर शहर में स्वच्छता को जनआंदोलन बनाया गया, जिसमें यहां के जागरूक नागरिको की जन सहभागिता, जनप्रतिनिधियों के साथ तथा निगम अधिकारियो व कर्मचारियो की सक्रियता से मुकाम इंदौर से प्राप्त किया है। इसके साथ ही इंदौर में पर्यावरण संरक्षण के तहत इंदौर में 100 से अधिक स्थानो पर बनाये जा रहे अहिल्या वन के संबंध में भी जानकारी दी गई।
महापौर श्री भार्गव ने कहा कि इंदौर जनता की सहभागिता से स्वच्छता का सिरमौर बना और आगामी समय में इसी क्रम को जारी रखा जाएगा वही देश में इंदौर नगर निगम के द्वारा पर्यावरण संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए, सोलर प्लांट के लिये ग्रीन बॉण्ड जारी किया गया, जिसमें देश व अन्य प्रदेश का अच्छा प्रतिसाद मिला है, साथ ही उन्होने बताया कि किस प्रकार से इंदौर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण वाहनो के माध्यम से सेग्रिगेट कचरा एकत्रित किया जाता है, जिसमें निकलने वाले वेस्ट का किस प्रकार से मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से निपटान किया जाता है तथा गीले कचरे से किस प्रकार से बायो सीएनजी गैस का निर्माण टेªचिंग ग्राउण्ड स्थित प्लांट में किया जाता है।
इसके पश्चात नार्वे के पूर्व जलवायु एवं पर्यावरण ंमंत्री श्री एरिक सोलहेम द्वारा टेªचिंग ग्राउण्ड स्थित बायो सीएनजी गैस का भी अवलोकन किया गया, यहां पर अधीक्षण यंत्री श्री महेश शर्मा द्वारा किस प्रकार से बायो सीएनजी गैस का निर्माण प्लांट में होता है उसके निपटान आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही उन्होने बताया कि किस प्रकार से यहां पूर्व मे ंकचरे के बडे-बडे ढेर हुआ करते थे, जिसके निपटान के साथ ही वेस्ट से आय अर्जित की जा रही, इसके संबंध में भी जानकारी दी गई।