सोयाबीन की अगली बुवाई तक सहकारी संस्था नेफेड द्वारा बिक्री रोकने और मांग में वृद्धि के चलते किसानों ने अपनी तिलहन फसल की आवक कम कर दी। इसके प्रभाव से शनिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल के दाम मजबूत रहे। वहीं, सुस्त कारोबार के कारण सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखा गया, और वे पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रहीं।
कीमतों में संभावित बढ़ोतरी के संकेत
सूत्रों के अनुसार, वार्षिक लेखाबंदी के चलते सुस्त कारोबार जारी रहा, जिससे सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर बने रहे। आने वाले दिनों में इन तेलों की कीमतों की दिशा स्पष्ट होगी। बाजार में मौजूदा मांग बनी हुई है, और नवरात्र एवं विवाह सीजन को देखते हुए निकट भविष्य में मांग में बढ़ोतरी की संभावना है। फिलहाल, सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर कायम हैं।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में बिनौले के विकल्प माने जाने वाले सूरजमुखी और पामोलीन तेल की कीमतें काफी अधिक हैं। ऊंची कीमतों के चलते इन तेलों की मांग में कमी आई है, जिससे बिनौला तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला है।
किसानों ने रोकी सोयाबीन की बिक्री
बाजार सूत्रों के अनुसार, नेफेड ने सोयाबीन की अगली बुवाई तक इसकी बिक्री रोक दी है, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। अब तक हाजिर बाजार में सोयाबीन का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे था। अच्छी कीमत की संभावना को देखते हुए किसानों ने अपनी फसल की आवक भी कम कर दी है। वहीं, आने वाले त्योहारों और शादी-विवाह के मौसम के चलते मांग में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है, जिससे सोयाबीन तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार देखा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मलेशिया में कच्चे पामतेल और सीपीओ के दाम तो ऊंचे बताए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन दरों पर खरीदार मिलना मुश्किल हो रहा है। कीमतें बढ़ने की खबरों के चलते पाम और पामोलीन तेल में भी मजबूती देखने को मिल रही है। वहीं, बिनौले की उपलब्धता में कमी और मंडियों में इसकी आवक कमजोर रहने के कारण बिनौला तेल के दाम में भी सुधार देखा जा रहा है।