किसानों को लेकर दुखद खबर सामने आई है। किसानों को इन दिनों काफी नुकसान उठाना पड़ा है। मई में कम तापमान के साथ लगातार बारिश ने कश्मीर में खरीफ फसलों मुख्य रूप से धान की फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है। कम तापमान के कारण विभिन्न खदानों और सब्जियों के पौधों की वृद्धि रुक गई है। जिसके चलते इस साल मई से लेकर जून के मध्य तक रोपाई के मौसम में देरी हुई है। वही देखा जाए तो किसानों का कहना है कि कम तापमान और लगातार वर्षा के कारण इस मौसम में भारी नुकसान हुआ है। खेती की गतिविधियों बहुत देर से शुरू हुई हर साल हम 15 मई तक चावल के पौधे की बुवाई कर काम पूरा कर देते थे लेकिन हम अभी तक इसी काम में लगे हैं।
यह हैं किसानों की दिक्कत
किसान इस बात से दुविधा में है कि धान के खेतों में पानी का स्तर अभी अधिक बना हुआ है। पारंपरिक रूप से देखा जाए तो चावल के पौधे का रोपण 21 जून से पहले किया जाना चाहिए था। किसानों का कहना है कि अत्यधिक बारिश होने के कारण इस मौसम में जलस्तर अधिक है। इस बसंत में अनियमित मौसम के कारण कृषक समुदाय को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। भारतीय मौसम विज्ञान के उपनिदेशक मुख्तार अहमद ने स्वीकार किया कि कम तापमान ने बीजों के अंकुरण को प्रभावित किया है।
मई का तापमान
उन्होंने कहा कि मई का तापमान सामान्य से कम दर्ज किया गया था। जिससे किसानों की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था आईएमडी अधिकारी ने कहा कि इससे इस मौसम में धान की फसल की कम पैदावार हो सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ओलावृष्टि के कारण से सेब,आडू, बेर, और नाशपाती जैसी बागवानी फसलों की खिलने की अवधि भी प्रभावित हुई। जिससे विशेष रूप से शोपियां और उत्तर पश्चिमी भाग जैसे कुपवाड़ा, उरी और बारामूला और हरिद्वार के कुछ क्षेत्रों में कम उत्पादन हो सकता है।