Aankhon Ki Gustakhiyan शीर्षक सुनते ही हमे हम दिल दे चुके सनम का प्रसिद्ध गाना याद आता है; और सच कहा जाए तो ये नाम फिल्म की शुरुआत में कुछ चमक जरूर जोड़ता है। यह फिल्म रसिक बांड की लघु कहानी The Eyes Have It से प्रेरित है, जिसमें त्रिकोणीय प्रेम की थीम दिखाई जाती है।
फिल्म की कहानी जहान (विक्रांत मेस्सी) और सबा (शनाया कपूर) की प्रेम यात्रा पर आधारित है जो पहली बार दिल्ली-देहरादून फर्स्ट क्लास ट्रेन यात्रा में मिलते हैं। सबा को फिल्मी दुनिया में पहचान चाहिए; जहान, जो अंधा है, उसे मदद करता है। अनजानेपन, रोमांस, धोखा और तीन साल के बाद दोबारा मिलन— सब संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन क्या यह सब फिल्म में प्रभाव डालता है?

कहानी: अच्छा खाका खराब पंच से धुंधला
स्क्रीनप्ले की शुरुआत में सबा और जहान के बीच की नोक-झोंक और दिलचस्प बातचीत उम्मीद जगाती है। लेकिन बहुत जल्दी पता चलता है कि घटनाएं अप्रत्यक्ष, संवाद सुनियोजित और रोमांस अधूरा है। जैसे सबा को जहान की अंधता पता नहीं चलती—यह अटपटी सी स्थिति है। फिर चैनल के मीटिंग रूम में पेट पर कटाक्ष और पट्टी हटते ही दिल टूटना, ये सब यादों को शायद फिल्मी नज़ारों से कम और थोड़ी नकली लगती हैं।
कमजोर स्क्रीनप्ले और बेमायने ट्विस्ट
इंटरवल के बाद कहानी यूरोप जाती है—जहां जहान दूसरी पहचान अपना चुका होता है। लेकिन इसमें दिलचस्प कमी, पहचान की चूक, और पूर्वानुमानित प्लॉट ट्विस्ट है जो फिल्म को साधारण बना देते हैं। संवाद, भाव, और किरदारों की केमिस्ट्री घंटों का तुक नहीं बैठ पाती।
अभिनय: नूरमानी लेकिन कम असर डालने वाले
शनाया कपूर की डेब्यू परदे भराती है—उनकी मुस्कुराहट ठीक है, भावुकता में सुधार की गुंजाइश है। विक्रांत मेस्सी नियंत्रित और दृढ़, मगर उनकी अंधता पर कभी भी गहराई नहीं आई। दोनों की प्राकृतिकता, लेकिन केमिस्ट्री की कमी अक्सर ध्यान भंग करती है। सहकलाकार सानंद वर्मा, जैन खान दुर्रानी, भारती शर्मा सब ने अपना रिपिट तयार किया, मगर कोई сцен ज्यादा याद नहीं रह गया।
तकनीकी पक्ष और संगीत
विशाल मिश्रा का गाना “पहली बार इश्क हुआ” संवेदनशील है—इसमें कुछ नयापन है। तनवीर मीर की सिनेमैटोग्राफी लोकेशन की खूबसूरती दिखाती है। लेकिन एडिटिंग—2 घंटे की फिल्म को 2 घंटे से भी लंबा महसूस कराती है, खासकर बीच में कहानी की लय खो जाती है।
“आँखों की गुस्ताखियां” के पास एक दिलचस्प कहानी आईडिया है—अंखों पर पट्टी, अनदेखे रोमांस, ट्रीगलर प्रेम—लेकिन स्क्रीनप्ले का कमजोर होना, नाटकीय निर्णय और केमिस्ट्री की कमी इसकी खूबसूरती में खोट डाल देती है। अभिनय प्रभावित करता है, तकनीकी पहलू अच्छे हैं, लेकिन फिल्म दृश्यों में खोई सी लगती है। यदि आप यह फिल्म देखते हैं—तो इसे हल्के मूड में, अच्छी सिनेमैटोग्राफी और संगीत के लिए देखें, पर गहराई और असर की उम्मीद कम रखें।