कुश सिन्हा — शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र और सोनाक्षी के भाई — अपनी डायरेक्टोरियल शुरुआत फिल्म “निकिता रॉय” के साथ कर चुके हैं, जो 18 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है। हालिया इंटरव्यू में कुश ने फिल्म की देरी, फिल्मी फ़ैमिली से जुड़ी चुनौतियों और अपनी बहन सोनाक्षी के साथ काम करने के अनुभव पर फ़िलहाल गहरी बातें शेयर की हैं।
स्क्रिप्ट से लेकर स्क्रीन तक: क्यों रुकी रही रिलीज़?
शुरुआती तौर पर पवन मोहनती की कहानी के साथ शुरू हुई निकिता रॉय की स्क्रिप्ट में बाद में लगभग 90% बदलाव किए गए — नील मोहनती, अंकुर टकरानी और अभिनव कश्यप के सहयोग से। बस मूल आइडिया वही रहा, लेकिन ट्रीटमेंट और अनुभव नया बना दिया गया।
प्रोड्यूसरों को शुरुआत में कंट्रोवर्सी की चिंता थी। कई कलाकारों को स्क्रिप्ट अच्छी नहीं लगी, कुछ को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर भरोसा नहीं था। जैसे-जैसे स्क्रिप्ट पॉलिश होती गई, सही लोग जुड़ते गए और प्रॉडक्शन आगे बढ़ा।
लेकिन तकनीकी कारणों— खासकर स्क्रीन उपलब्धता की समस्या ने फिल्म की रिलीज को रोक दिया। फिल्म पूरी थी, प्रचार की गई थी, लेकिन स्क्रीन नहीं मिली। इसलिए रिलीज टलनी पड़ी, यह मौजूदा रिलीज़ शेड्यूल से भी भारी असर डालने वाली घटना रही।
सरनेम से नहीं, आपके टैलेंट से बड़ा काम होता है।
कुश ने साफ बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में फैमिली नरेटिव महज़ द्वार खोलता है, असली कहानी तो आपकी स्क्रिप्ट, संवाद और विज़न होती है। “लोग जल्दी मिल जाते हैं, लेकिन पैसा सिर्फ तब आता है, जब आपकी सोच और टैलेंट दमदार हो।” इस फिल्म मेकिंग का सच्चा अनुभव है कि माशूर सरनेम से नहीं, लेकिन मेहनत से टिकता है पेमेंट और पहचान।
सेट पर सोनाक्षी को बहन नहीं, एक्टर माना
कुश ने फिल्म सेट पर अपनी बहन सोनाक्षी को पहले दिन ही स्पष्ट कर दिया था—वे एक प्रोफ़ेशनल एक्टर हैं, कोई पारिवारिक सदस्य नहीं। उनका फोकस समान व्यवहार पर रहा ताकि टीम उन्हें सीरियस लें।
सोनाक्षी भी पूरी तरह फैसिलिटेटिव और प्रोफ़ेशनल रही—उन्होंने कभी यह महसूस नहीं कराया कि वह “घर की हैं।”
पापा का रिएक्शन: एक पिता का गर्व
जब फिल्म कंप्लीट हुई, शत्रुघ्न सिन्हा ने निकिता रॉय देखी और कहा— “मुझे तुम पर गर्व है।” यह उस पल में कुश के लिए खुशी का चरम था। उन्होंने बताया कि पिताजी ने कभी डायरेक्टर बनने के लिए दबाव नहीं डाला, लेकिन जब फिल्म देखी, तो विजन में विश्वास हो गया।
क्या बना कुश सिन्हा का डेब्यू स्पेशल?
कुश सिन्हा ने पहली ही फिल्म में अपने अंदाज़ से—स्क्रिप्ट पॉलिश करना, इंडस्ट्री कंट्रोवर्सी समझना, बहन को प्रोफ़ेशनल बनके ट्रीट करना—एक उदाहरण पेश किया है कि फैमिली बैकग्राउंड एक शुरुआत है, लेकिन सफलता का असली दरवाज़ा टैलेंट और विज़न खोलता है।