5 राज्यों में चुनावी हो-हल्ला : चुनावों में होगी नारी शक्ति की भागीदारी

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देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में महिलाओं की सशक्त भूमिका रहेगी। कहने का अभिप्राय यह है कि इन सभी पांच राज्यों में जितनी संख्या पुरूष मतदाताओं की है उस प्रतिशत में ही अधिक भागीदारी महिलाओं की भी होगी।

सबसे अधिक भागीदारी उत्तर प्रदेश में

पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में चुनाव वाले सभी पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिसमें सबसे अधिक भागीदारी उत्तर प्रदेश में है। पांच राज्यों के 18.34 करोड़ मतदाता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे और इनमें से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं। महिलाओं की भागीदारी में यूपी के बाद गोवा 24 अंकों के साथ, मणिपुर 19 अंकों के साथ, उत्तराखंड 18 अंकों के साथ और पंजाब 10 अंकों के साथ रिकॉर्ड बना रहा है।

लिंगानुपात में गोवा में 1056, मणिपुर में 1065, पंजाब में 902, उत्तराखंड में 928 और उत्तर प्रदेश में 868 दर्ज किया गया। विशेष रूप से, पहली बार के 24.9 लाख मतदाताओं में से 11.4 लाख महिलाएं भी हैं। लगभग 13.01 लाख दिव्यांग मतदाता हैं और 31.47 लाख वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनमें से ज्यादातर 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।

अधिकारों के प्रति सजग

बदलते समय के साथ आधुनिक युग की नारी पढ़-लिख कर स्वतंत्र है। वह अपने अधिकारों के प्रति सजग है तथा स्वयं अपना निर्णय लेती हैं। अब वह चारदीवारी से बाहर निकलकर देश के लिए विशेष महत्वपूर्ण कार्य करती है। महिलाएँ हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। इसी वजह से राष्ट्र के विकास के महान काम में महिलाओं की भूमिका और योगदान को पूरी तरह और सही परिप्रेक्ष्य में रखकर ही राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। राजनीतिक प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी अनेक प्रकार की कारवाईयों एवं रणनीतियों को समाहित करती है।