वजीरएक्स के निदेशक के ठिकानों पर ईडी छापा, खाते फ्रीज किए गए

Share on:

प्रवर्तन निदेशालय  ने वजीरएक्स क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के निदेशक समीर म्हात्रे के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी ने उनके खातों को भी सीज कर लिया है। बताया जा रहा है उनके खातों में पड़ी 64.67 करोड़ रुपये की राशि को फ्रीज कर दिया है। कंपनी के निदेशक पर आरोप है कि उन्होंने क्रिप्टो संपत्तियों की खरीद और हस्तांतरण के माध्यम से धोखाधड़ी के पैसे की मनीलॉन्ड्रिंग में आरोपी इंस्टेंट लोन ऐप कंपनियों की मदद की है।

संघीय एजेंसी ने कहा कि उसने तीन अगस्त को हैदराबाद में जानमाई लैब प्राइवेट लिमिटेड के एक निदेशक के खिलाफ छापे मारे, जो वज़ीरएक्स क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के मालिक हैं। ईडी ने यह भी कहा है कि छापेमारी के दौरान वे सहयोग नहीं  कर रहे थे।क्रिप्टो एक्सचेंज Wazirx के खिलाफ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की यह कार्रवाई भारत में काम कर रहे कई चीनी लोन एप  के खिलाफ चल रही जांच से जुड़ी है। बता दें कि एजेंसी ने WazirX पर पिछले साल विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के कथित उल्लंघन का आरोप लगाया था।

Also Read – रेलवे भर्ती पर रेल मंत्री का बड़ा बयान, बोले- डेढ़ लाख नौकरियां और देने की तैयारी में सरकार 

ईडी ने कहा है कि WazirX के निदेशक समीर म्हात्रे  के पास वज़ीरएक्स के डेटाबेस तक पूरी पहुंच है, लेकिन इसके बावजूद वे क्रिप्टो के लेनदेन से जुड़े वे आंकड़े नहीं दे रहे हैं जो कि ऋण ऐप धोखाधड़ी की आय से खरीदे गए हैं। WazirX पर आरोप है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के निदेशक ने वर्चुअल क्रिप्टो असेट्स की खरीद और ट्रांसफर के माध्यम से धोखाधड़ी के पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग में आरोपित लोन ऐप कंपनियों की मदद की है।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय देश में काम करने वाली तमाम एनबीएफसी कंपनियों और उनके फिनटेक पार्टनर्स के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गाइडलाइन का उल्लंघन करने और पर्सनल डेटा के दुरुपयोग और मनी लॉउन्ड्रिंग  के मामले में जांच कर रही है। इन कंपनियों पर आरोप है कि ये कंपनियां टेली कॉलर्स का इस्तेमाल कर कर्ज लेने वालों से ऊंचे ब्याज दरों की वसूली के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

बता दें कि देश में चीनी वित्त प्रदत्त कई फिनटेक कंपनियों को उधार देने का कारोबार करने से जुड़ा लाइसेंस आरबीआई से नहीं मिलने पर उन्होंने बंद हो चुकी एनबीएफसी कंपनियों से एमओयू कर अपना काम शुरू कर दिया था। जब इस मामले में जांच शुरू हुई तो कई कंपनियां अपना कारोबार समेटकर भाग गईं और कमाई गई राशि को छिपा लिया।
ईडी ने अपनी अब तक की जांच में पाया है कि इन कंपनियों ने क्रिप्टोकरेंसी  में बड़े पैमाने पर निवेश किया और एक्सचेंस की मदद लेकर उन्हें विदेशों में ट्रांसफर कर दिया। क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन से जुड़े कई ऐसे प्रमाण भी मिले हैं जिन्हें क्रिप्टो के ब्लॉकचेन तक में दर्ज नहीं किया गया। ऐसे में ये वर्चुअल असेट्स अब तक ट्रेस नहीं किए जा सके हैं।