नई दिल्ली। तुर्की (Turkey) की तबाही ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। कल सुबह जब पूरा देश सो रहा था, तुर्की और सीरिया (Syria) का जर्रा-जर्रा कांप उठा। यहां आए भूकंप से भयानक तबाही जारी है। दोनों देशों में अब तक 4,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं इस शक्तिशाली भूकंप से 15 हजार से अधिक लोग घायल हो गए हैं। भूकंप के चलते इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है।
तुर्की प्रशासन का कहना है कि अभी तक 5,606 इमारतें गिर चुकी हैं। बता दे कि बीते दिन तुर्की में 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के लगातार तीन विनाशकारी भूकंप आए थे। मलबे में दबी जिंदगी को तलाशने के लिए राहत बचाव का काम जारी है। लेबनान और इजराइल में झटके महसूस किए, लेकिन यहां नुकसान की खबर नहीं है।
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सीमा के दोनों ओर भूकंप का झटका सूर्योदय से पहले महसूस हुआ और लोगों को सर्दी और तेज बारिश के बावजूद बाहर आना पड़ा। तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि मौसम और आपदा का दायरा रेस्क्यू टीमों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही हैं। खराब मौसम के चलते रेस्क्यू टीम के हेलिकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं।
भारत ने तुर्की के लिए मदद भेजी है। राहत और बचाव के लिए तुर्की में एनडीआरएफ की टीम गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से रवाना हो गई है। तुर्की में सोमवार सुबह 04:17 बजे भूकंप आया था। इसकी गहराई जमीन से 17.9 किलोमीटर अंदर थी। भूकंप का केंद्र गाजियांटेप के पास था। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किमी दूर स्थित है।
भारत की ओर से भेजी राहत सामग्री की खेप में एक विशेषज्ञ राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल खोज और बचाव दल शामिल है। USGS ने दावा किया है 100 साल बाद इतना विनाशकारी भूकंप आया है। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा, ‘भूकंप वाले क्षेत्र में कई इमारतों का मलबा को हटाने का काम जारी है, हम नहीं जानते कि मृतकों और घायलों की संख्या कितनी बढ़ेगी।
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