दम नहीं, क्यो उड़ाते हो पतंग, पतंगबाज बनते हो तो फिर आसमान के मैदान में आओ

Suruchi
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नितिनमोहन शर्मा

क्या कहा, पतंगबाज हो? पतंगबाजी करते हो। दूर दूर तक के पेंच काट आते हो। अरे वाह। खेंच में हाथ चलते है कि ढील में? क्या कहा ये खेंच-ढील समझ नहीं पड़ती। कैसे पड़ेगी? ईमानदारी से पतंगबाजी की होती तो पता चलता न। तुम तो सब बेईमान हो। बेईमानी से पतंगबाजी कर के बड़े पतंगबाज बन रहे हो। दम है तो आओ देशी गट्टे के साथ मैदान में। फिर हम बताते है किसे पतंगबाजी कहते है और कौन असली पतंगबाज है। नायलोन के धागे से पतंग के पेंच क्या, इंसान कट जाता है। इस मौत के मांजे से पतंग का पेंच काटकर…काटटाटा है चिल्ला रहे हो। धिक्कार है तुमको। ऐसे धागे से मकर संक्रांति का पर्व मना रहे हो, जो किसी भी क्षण किसी की भी जान ले ले। शर्म आना चाहिए नायलोन के धागे से पतंगबाजी कर पतंगबाज बनने वालो तुम पर।

दम है तो जाओ बाजार। लाओ देशी गट्टा। साकल तोड़। मुर्गा। मिराज। गिलहरी ब्रांड। जमा करो सरेस। लुगदी। टूटी ट्यूबलाइट। हरा, नीला, पीला, रंग। पीसो कांच का चूरा। बनाओ सरेस लुगदी रंग का घोल। और सूतो मांजा। कड़क ओर धारदार करो। पीसा हुआ कांच बढ़ाओ। गट्टा समझते हो? उचके का नाम सुना है? सुता हुआ मांजा इसमे ही लपटायेगा। हो गया पुरुषार्थ से तैयार मांजा। अब जाओ छत पर ओर दिखाओ असली पुरुषार्थ। अहिल्या नगरी की पतंगबाजी तो ऐसे ही होती थी। ये क्या प्लास्टिक के धागे से पेंच लड़ाकर सुरमा बन रहे हो।

माँ-बाप-बीवियां भी रोके-टोके

मौत के मांझे की खरीदी की सारी सख्ती अफ़सरो के हवाले ही मत कीजिये। माता पिता भी रोके टोके। अपने बच्चो को पैसे तो वे ही देते है न पतंगबाजी के लिए। तो फिर ये भी ध्यान रखे कि वो कही जानलेवा मांजा तो लेकर नही आया? ये मांजा आपके नोनिहाल को भी गम्भीर घायल कर सकता है और पराए के बच्चे को भी। पत्नियों को भी इस मामले में कमर में पल्लू खोसना होगा। पतियों को समझाना ओर रोकना होगा इस प्लास्टिक के मांजे से पतंगबाजी करने के लिए। पतंगबाजी वाले दिन छतों पर महिलाएं और युवतियां भी तो होती है न बड़ी संख्या में? तो फिर आपकी जवाबदारी नही बनती इस जानलेवा मांजा से दूर करने की?

नजर रखे, चोरी छुपे न बिके मांजा

पुलिस की सख्ती के बाद चाइना का जानलेवा मांजा अब चोरी छुपे बिकने लग रहा है। इस पर भी नजर रखना होगी। सख्ती के कारण दुकानदारों ने इसे ब्लेक में बेचने की जुगत भिड़ाई है। जिला प्रशासन और पुलिस मुखबिरों के जरिये इसकी तफ्तीश कर सकती है। ग्राहक बनकर भी ऐसे दुकानदारो को पकड़ा जा सकता है जो चोरी छुपे अब भी मौत का मांजा बेच रहे है।

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