ISRO : हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस सवाल का जवाब दिया कि ISRO पर खर्च की जाने वाली राशि का समाज को कितना लाभ होता है। एक अध्ययन के अनुसार, ISRO पर हर 1 रुपये के खर्च पर समाज को 2.50 रुपये का रिटर्न मिला है। यह आंकड़ा ISRO के योगदान को दर्शाता है, जो न केवल अंतरिक्ष मिशनों तक सीमित है, बल्कि समाज के अन्य क्षेत्रों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
क्या हैं ISRO का उद्देश्य
ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि इसरो का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में सक्रिय देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना नहीं है, बल्कि देश की सेवा करना है। उनका कहना था कि इसरो को वह स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, जो वह अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और व्यावसायिक अवसरों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए चाहता है। इसका मतलब है कि ISRO को ऐसे वातावरण की आवश्यकता है, जिसमें वह अधिक से अधिक व्यापारिक और तकनीकी अवसरों का निर्माण कर सके, ताकि इसके द्वारा किए गए प्रयास समाज और राष्ट्र के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकें।
चंद्र मिशन की महंगाई के बारे में बात करते हुए सोमनाथ ने कहा कि इन मिशनों का खर्च काफी अधिक होता है। इसलिए, इसके लिए केवल सरकारी फंडिंग पर निर्भर रहना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि ISRO को अपने मिशनों को जारी रखने के लिए व्यावसायिक अवसर उत्पन्न करने की आवश्यकता है। यदि ISRO अपनी उपयोगिता को साबित नहीं कर पाता, तो सरकार इसे बंद करने का निर्णय ले सकती है। सोमनाथ ने इस विषय पर चर्चा करते हुए यह भी कहा कि सरकार और इसरो को मिलकर ऐसे अवसरों को पहचानने और विकसित करने की आवश्यकता है, जो ISRO के प्रयासों को वित्तीय रूप से स्थिर बना सकें।
ISRO कैसे करता हैं लोगों की मदद ?
ISRO के योगदान का एक अन्य पहलू यह है कि संगठन सिर्फ अंतरिक्ष मिशनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की बेहतरी के लिए भी काम कर रहा है। सोमनाथ ने मछुआरों की मदद करने के उदाहरण को दिया, जिसमें ISRO के ‘ओशनसैट’ सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है। इस सैटेलाइट के जरिए समुद्र की स्थिति का आकलन किया जाता है, जिससे मछुआरों को यह जानकारी मिलती है कि मछली पकड़ने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान कहां है।
ISRO की इस सलाह के कारण मछुआरों को न केवल अधिक मछलियाँ पकड़ने में मदद मिलती है, बल्कि वे डीजल की बचत भी कर पाते हैं। मछुआरों को पहले समुद्र में मछलियाँ खोजने के लिए काफी दूर तक यात्रा करनी पड़ती थी, जिससे उनका डीजल खर्च अधिक होता था। लेकिन अब ISRO द्वारा दिए गए सुझावों की मदद से वे उन स्थानों पर आसानी से पहुंच जाते हैं, जहां मछलियाँ अधिक मात्रा में होती हैं, और इस तरह उनका यात्रा समय कम हो जाता है, जिससे डीजल की खपत भी घट जाती है।
ISRO के अध्यक्ष ने कई अन्य उदाहरणों का हवाला दिया, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि यह संगठन समाज की बेहतरी के लिए लगातार काम कर रहा है। चाहे वह मछुआरों की मदद हो, प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता, या फिर कृषि क्षेत्र में सुधार, ISRO के प्रयासों से समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ मिल रहा है।