अक्सर आप रेल में यात्रा करते समय नेटवर्क न आने के कारण गेट पर खड़े हो जाते है। ऐसे में कई बार लापरवाही से हादसे हो जाते है। हमारा फ़ोन गिर जाना या फिर वॉलेट का रेलवे ट्रैक पर गिर जाना। ऐसे में हम काफी परेशान हो जाते है। फ़ोन की महत्वता मुझे अलग से बताने की कोई जरुरत नहीं है। क्योकि, हम सब जानते है की आजकल बिना फ़ोन हमारा कोई काम होता ही नहीं है। हमारे डाक्यूमेंट्स, बैंक अकाउंट का डिटेल्स,ऑनलाइन पेमेंट्स, आईडी कार्ड सभी कुछ हमारे फ़ोन में होता है। अगर ऐसे में ट्रैन से फ़ोन गिर जाए तो यह तो बड़ी आफत हो जाती है। इन सभी समस्याओ का समाधान करके भारतीय रेलवे ने नियम कायदे बनाये है। अगर आप इन सभी नियमो का पालन करते है तो आपको अपना खोया हुआ मोबाइल और पर्स मिल सकता है।
आपने देखा या ऐसा किया होगा की अपना फ़ोन ट्रैक पर गिरते ही लोग ट्रैन की इमरजेंसी वाली चैन को खींच देते है। लेकिन ऐसा बिलकुल नै करना चाहिए क्योकि, ऐसा करना दंडनीय है। इसमें आपको जुर्माने के साथ एक साल की सजा हो सकती है। भारतीय रेल के रूल्स के मुताबिक आप चैन पुलिंग का इस्तेमाल सिर्फ तब ही कर सकते हो जब कोई इमरजेंसी हो। इमरजेंसी में आपका कोई सामान गिरना शामिल नहीं है। अब सवाल ये है की फिर हमें हमारा सामन वापिस कैसे मिलेगा ?
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अगर आपका मोबाइल फोन या पर्स रेलवे ट्रैक पर गिर गया है तो सबसे पहले ट्रैक के किनारे लगे पोल पर पीले और काले से लिखा हुआ नंबर नोट कर लें. इसके बाद यह पता करें कि आपका फोन किन दो रेलवे स्टेशनों के बीच गिरा है. इसके लिए आप टीटीई या किसी अन्य यात्री के मोबाइल फोन का सहारा ले सकते हैं. इसके बाद आप रेलवे पुलिस फोर्स के हेल्पलाइन नंबर 182 या रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल करके अपने मोबाइल फोन या सामान के गायब होने की जानकारी दें।
इस टाइम जो वो पोल नंबर पहले लिखा था उसकी सूचना रेलवे पुलिस अधिकारी को दे दो। इस सूचना से उन्हें सामन को ढूंढ़ने में रहत रहेगी। इससे आपका सामान मिलने की गुंजाईश काफी हद तक बढ़ जाती है। इस जानकारी से पुलिस को आपकी बताई हुयी जगह पर पहुंचने में आसानी होती है। लेकिन, यह बात विशेष रूप से ध्यान रखें की पुलिस सिर्फ कोशिश करती है। इस बात की गारंटी नहीं लेती की आपका सामान उनको मिल ही जाएगा।