मोदी जी की नाकामी का दोष उन्हें न दीजिये

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राजेश ज्वेल

आईटी सेल की तमाम पोस्टों- गोदी न्यूज चैनलों की रिपोर्टिंग देख देश की जनता को पहली फुर्सत में ये मुगालता दूर कर लेना चाहिए कि हमारे प्रधानमंत्री खुद फैसले लेने में सक्षम और काबिल हैं…अभी तक उन्हें दूरदृष्टा के साथ कुशल प्रबंधक बताया जाता था वो सब कांगी-वामी और टुकड़े टुकड़े गैंग का प्रोपेगंडा था ..जो अब कोरोना और वैक्सीन प्रबंधन के साथ एक्सपोज हो गया…हक़ीक़त तो ये है कि सोनिया राहुल-प्रियंका, उद्धव , केजरीवाल, ममता से लेकर अखिलेश की बातों को ही मोदी जी फॉलो करते हैं… विपक्ष के इन नेताओं ने कोरोना प्रबंधन-वैक्सीनेशन पर जो बयान दिए थे उसका अक्षरसः पालन मोदी जी ने दिमाग लगाए बिना किया , जिसके परिणाम देश को भुगतना पड़े रहे है… अब देश को ये सोचना है कि क्या उसे ऐसा नेतृत्व चाहिए जो विपक्षी नेताओं , वाम गैंग , विदेशी ताकतों और कांग्रेसी टुकड़ों पर पलते मीडिया के फैलाएं भ्रम के आधार पर फैसले करता हो..?

कोरोना की दूसरी लहर से मोदी जी इसीलिए नहीं निपट पाए क्योंकि विपक्ष ने उन्हें अंधेरे में रखा…देश को 60 साल से खोखला करने वाली इस गैंग ने ही मोदी जी को चुनाव प्रचार , जीत के जुनून के साथ इमेज बिल्डिंग का चाला लगाया..नेहरू जी के विदेशों से धुलकर आने वाले कपड़ों ने ही 10 लाख का सूट पहनने को मजबूर किया..अब किसी दिन ये भंडाफोड़ होगा कि नोटबंदी, धारा 370 जैसे कई बड़े फैसलों से पहले भी मोदी जी ने इन कांगी-वामी विपक्ष के नेताओं से गुपचुप मशविरा किया था …अपना तो निष्कर्ष है कि जनता अभी तक फिजूल मोदी जी को दुनिया का सबसे काबिल नेता मान उनके कई फैसलों को मास्टरस्ट्रोक कहती रही.. जबकि सच ये है कि ऐसे सारे मास्टरस्ट्रोक मोदी जी विपक्ष के नेताओं से गुपचुप चर्चा के बाद ही ले पाए.. इसमें उनका कोई विजन नहीं था..विजन होता तो विपक्ष के लाख उकसावे /बयानों के बावजूद मोदी जी बेहतर कोरोना-वैक्सीन प्रबंधन कर लेते..सरदार पटेल की प्रतिमा से लेकर सेंट्रल विष्टा प्रोजेक्ट की भी आलोचना न हो क्योंकि इसका निर्णय भी मोदी जी ने स्वविवेक से नहीं लिया, बल्कि इसका ज्ञान हाथियों पर करोड़ो फूंकने वाली मायावती और उस कांग्रेस से मिला जिसने नेहरू, इंदिरा और राजीव की प्रतिमाओं ,प्रोजेक्टों पर अरबों-खरबों खर्च कर दिए और अस्पताल-स्कूल नही बनाएं …लिहाजा ऐसे तमाम मामलों में मोदी जी बेकसूर हैं…

वैक्सीन महागुरु बनने से लेकर कोरोना प्रबंधन की नाकामियों का ठीकरा कृपया मोदी जी पर ना फोड़े… उन्होंने तो विपक्ष के नेताओं के बयानों के आधार पर ही निर्णय लिए…दरअसल 2014 में जनता ने मोदी जी को नही विपक्ष के मुखोटे को ही चुना था जो उन्हें काम नही करने दे रहा है.. सबका साथ – सबका विकास में अटूट भरोसा रखने वाले मोदी जी के साथ वाकई ये बड़ा और घिनौना षड़यंत्र है ..जिसे अब नही पहचाना तो कोरोना जैसी महामारी से बची हमारी आने वाली पीढियां माफ़ नहीं कर पायेगी कि हम किस मिट्टी के माधव की पालकी जोर शोर से ढ़ोते रहे..