दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शनिवार को लेखिका अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ कार्रवाई को हरी झंडी देकर राजनीतिक वाकयुद्ध छेड़ दिया। अब इन दोनों पर 2010 में एक सार्वजनिक समारोह में भड़काऊ भाषण देने के मामले में सख्त गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है।
‘शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा…’
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, अरुंधति रॉय ने जो भी कहा है, वह पूरी तरह से गलत है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अगर कोई भी इसमें दरार डालना चाहेगा तो हम उसका विरोध करेंगे। लेकिन, सवाल यह है कि यह मामला 2010 का है और पिछले 10 सालों से केंद्र में मोदी की सरकार है, वे इस मुद्दे पर अब तक चुप क्यों थे? 10 साल बाद, जब कम बहुमत वाली सरकार बनी है, तो यह फैसला राजनीतिक लगता है।”
‘TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा…’
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, अगर अरुंधति रॉय पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाकर बीजेपी यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि वे वापस आ गए हैं, तो ऐसा नहीं है। और वे कभी भी उसी तरह वापस नहीं आएंगे जैसे वे पहले थे। इस तरह के फासीवाद के खिलाफ भारतीयों ने वोट दिया है। रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ शेख शौकत हुसैन ने 2010 में “आजादी-एकमात्र रास्ता” के बैनर तले आयोजित एक सम्मेलन के दौरान ‘भड़काऊ’ भाषण दिए थे।