कर्मचारियों को दो तरीकों से अनिवार्य सेवा निवृत्ति दी जा सकती है

Akanksha
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कर्मचारी आचरण नियमों के अनुसार, कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिया जाना, मेजर पनिशमेंट है एवं कर्मचारी पर एक कलंक माना जा सकता है। इसमे 20/50 जैसा कोई बंधन नही है। कंपलसरी रिटायरमेंट, का दंड कर्मचारी को आचरण नियमों के पालन में किसी भी समय दिया जा सकता है, जो कि कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों को कम या समाप्त कर सकता है। मध्यप्रदेश में, मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण ,नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के अनुसार, अनिवार्य सेवा निवृत्ति एक दीर्घ शास्ति है। संदिग्ध कार्य व्यवहार, या अन्य कदाचरण के आरोपों की सिद्धि के पश्चात, कर्मचारी को कंपलसरी रूप से रिटायर किया जा सकता है। आचरण नियमों के अनुसार, अनिवार्य सेवानिवृत्ति दंड होने के कारण, कर्मचारी के विरुद्ध, कदाचरण के आरोप होना पर्याप्त नही है। अपितु, सम्बन्धित विभाग को, निष्कर्ष पर, पहुँचने हेतु, कर्मचारी को युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर देते हुए, अनुशासनात्मक कार्यवाही के जटिल नियमों का पालन करना आवश्यक है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति एक मेजर पनिशमेंट होने के कारण, संविधान के अनुच्छेद 311(2) का पालन जरूरी है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति का उद्देश्य , जिन कर्मचारी के विरुद्ध गंभीर कदाचरण के आरोप सिद्ध हैं, उन्हें, सेवा से पृथक करना और दंडित करना है।

2) सेवा नियमों जैसे पेन्शन एवं मूलभूत नियमों के अनुसार, कंपलसरी रिटायरमेंट —

आचरण नियमों के विपरीत, सेवा नियमों के अनुसार, कर्मचारी को किसी भी समय, अनिवार्य सेवानिवृत्ति नही दी जा सकती है। सेवा नियमों के अनुसार, एक निश्चित सेवा( 20 वर्ष )एवं आयु (50) की पूर्णता के बाद, लोकहित में ही अनिवार्य सेवा निवृत्ति दी जा सकती है। मध्यप्रदेश में 20 वर्ष की सेवा औए 50 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर, अनिवार्य सेवा निवृत्ति दी सकती है। परंतु, ऐसे निर्णयों मे लोकहित सबसे प्रमुख तत्व होना चाहिये। सेवा नियमों के अनुसार, अनिवार्य सेवानिवृत्ति किसी भी कर्मचारी के विरुद्ध कोई कलंक स्थापित नही करती है। अतः कर्मचारी की पूर्व सेवाएं समाप्त नहीं होती है। कर्मचारी सेवानिवृत्ति की तिथि तक के सभी सेवा लाभ प्राप्त करने का पात्र होता है। चूँकि, पेंशन नियमों या मूलभूत नियमों के अनुसार, कंपलसरी रिटायरमेंट कोई दंड नही है। अतः, अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश जारी करने के पूर्व, कर्मचारियों की जाँच किया जाना , या व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक नही है। सेवा नियमों के अनुसार, लोकहित में, अनिवार्य सेवानिवृत्ति का उद्देश्य, अनावश्यक कर्मचारियों या डेड वुड की छटनी करना है।