जबलपुर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज यानी रविवार शाम जबलपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सपत्नीक दयोदय गौशाला तीर्थ पहुंचकर आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किये और उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने इसके बाद ट्वीट किया कि हमारी प्राचीन संस्कृति में गौमाता को विशेष स्थान प्राप्त है। इनके आसपास जाकर मुझे एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। आज जबलपुर में सपत्नीक दयोदया संस्थान में गौमाता की सेवा की।
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उन्होंने यह भी ट्ववीट किया कि आज जबलपुर में जीव दया और मानव कल्याण का संदेश देने वाले श्रेष्ठ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें लंबी आयु दें ताकि उनका आशीर्वाद और लोककल्याण हेतु मार्गदर्शन हमें सदैव मिलता रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दयोदय तीर्थ में गोशाला और चरखे से निर्मित वस्तुओं का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस प्रकल्प की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्यों और परंपराओं का पालन करते हुए जीवन जीने के लिए नई दिशा दे रहे हैं।
जबलपुर में दयोदय तीर्थ स्थित चल चरखा हथकरघा केंद्र का अवलोकन किया।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने हथकरघा का अद्भुत प्रकल्प बनाया है। हथकरघा को महात्मा गांधी के बाद उन्होंने स्वावलंबन का प्रतीक बना दिया है।
उन्होंने आत्मनिर्भरता का हम सबको नया मार्ग दिखाया है। pic.twitter.com/Eu1mFGeuIQ
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 5, 2021
मुख्यमंत्री ने हथकरघा के प्रकल्प को अद्भुत बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी के बाद आचार्य श्री ने इसे स्वाबलंबन का प्रतीक बना दिया है। इसके माध्यम से बड़ी तादात में महिलाओं खासतौर पर जनजाति महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री ने स्वाबलंबन का नया मार्ग दिखाया है।
साथ ही दयोदय तीर्थ में चरखा केंद्र में ब्रह्मचारी बहनों द्वारा बनाए गए हथकरघा के वस्त्रों का अवलोकन करते हुए कहा कि हथकरघार से निर्मित सूती के कपड़े रेशमी कपड़ों को भी मात दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस दौरान दयोदय तीर्थ में चल रहे व्यावसायिक शिक्षा और आरोग्य के प्रकल्प को भी सराहा। उन्होंने कहा कि यहां सौ बिस्तर का आयुर्वेद अस्पताल पूर्व से चल रहा था जिसे अब 800 बिस्तरों का बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज भारतीय जीवन मूल्यों की शिक्षा, ज्ञान देने के साथ कौशल देना और चरित्र निर्माण का काम भी कर रहे हैं।