INDORE NEWS : पूरी शानो-शौकत के साथ मना शहर के स्वर्णिम इतिहास का जश्न

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इंदौर : इंदौर एक ऐसा शहर है जिस पर माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती दोनों का ही आशीर्वाद शुरुआत से रहा है। सन 1715 में इंदौर के संस्थापक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने इसे एक करमुक्त शहर बनाकर उसी वक्त मध्यभारत की व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया था और आज भी इंदौर प्रदेश की व्यापारिक राजधानी है। वहीं स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, ख्यात चित्रकार एमएफ हुसैन, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ‘इंदौर घराने’ की स्थापना करने वाले उस्ताद अमीर ख़ाँ साहब सहित कई बड़े कलाकार इंदौर की सरजमीं पर पैदा हुए और विश्व स्तर पर शहर का नाम रोशन किया।स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार पांचवीं बार जीत हासिल कर इंदौर शहर आज पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बन चूका है। देश-विदेश से लोग इंदौर आकर यहाँ के स्वच्छता मॉडल से सीख हासिल कर रहे हैं। इंदौर शहर के इसी स्वर्णिम इतिहास और गौरवशाली वर्तमान का जश्न गुरुवार को जूनी इंदौर स्थित बड़ा रावला परिसर में पूरी शानो-शौकत के साथ मनाया गया। मौका था इंदौर के 306 वां स्थापना दिवस का।

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हर वर्ष की तरह इस उत्सव को राव राजा श्रीकांत मंडलोई जमींदार, रानी माधवी मंडलोई जमींदार, युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार, राजबाई श्रिया मंडलोई जमींदार के सानिध्य में इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में श्री संस्थान बड़ा रावला कार्यालय द्वारा भी विशेष सहयोग दिया गया। कार्यक्रम के दौरान युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार ने सभी प्रबुद्धजनों को सम्मानित करते हुए कहा कि किसी भी शहर की पहचान उसकी जमीन से नहीं बल्कि उसमें बसने वाले लोगों से होती है। इंदौर की असली पूंजी यहाँ रहने वाले लोग है, जिन्होंने इस शहर के स्वर्णिम इतिहास को भी रचा था और लगातार शहर की भलाई के लिए काम करते हुए वे सुनहरे अक्षरों से इंदौर के भविष्य को भी रच रहे हैं। यही कारण है कि आज विश्व स्तर पर इंदौर ने अपनी पहचान कायम की है।

इस अवसर पर रानी माधवी मंडलोई जमींदार ने कहा कि 18वीं शताब्दी में इंदौर एक छोटा-सा गांव था। इस गांव को मालवा की व्यापारिक राजधानी बनाने के श्रेय हमारे पूर्वज और इंदौर के पहले राव राजा नंदलाल मंडलोई को जाता है। इंदौर की जनता और प्रशासन को शहर के इतिहास और विरासत को सहेजना चाहिए ताकि हम शहर की स्वर्णिम विरासत को आगामी पीढ़ी तक पहुंचा पाएं। हमें नई पीढ़ी को शहर के इतिहास की जानकारी देनी चाहिए ताकि आगे वे जहाँ भी जाकर काम करें पर अपने शहर और पहचान से हमेशा जुड़े रहें।

भाग्यश्री खरखड़िया को दिया गया ‘रावराजा रतन अलंकरण’ सम्मान

पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के प्रकोप के कारण इस आयोजन को बेहद सादगी से मनाया गया था परंतु इस वर्ष शहर की भलाई के लिए काम करने वाले प्रबुद्धजनों को सम्मानित करने के लिए भव्य तरीके से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान बेसहारा बुजुर्गों की सेवा करने वाली समाज-सेविका श्रीमती भाग्यश्री खरखड़िया को ‘रावराजा रतन अलंकरण’ से सम्मानित किया गया। महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले ‘भारत की बेटी फाउंडेशन’ की संस्थापक सुरभि मनोचा चौधरी और झुग्गी बस्ती के बच्चों तक शिक्षा का उजाला पहुंचाकर उनके होंठों पर मुस्कान लाने वाले ऑपरेशन स्माइल के संस्थापक आरक्षक संजय सांवरे को भी सम्मानित किया गया।

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कवि सम्मलेन से खुशनुमा हुई मालवा की शाम

इस दौरान अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्री जगदीश सोलंकी, श्री गिरेन्द्र सिंह भदौरिया ‘प्राण’, सुश्री भुवन मोहिनी, सुश्री प्रियंका राय, श्री सरफ़राज़ नूर और श्री हिमांशु बवंडर कवितापाठ किया। कार्यक्रम के सूत्रधार राष्ट्रकवि सत्यनारायण जी सत्तन थें। कार्यक्रम में सत्तन जी का भी सम्मान किया गया। इस दौरान पूर्व विधायक श्री अश्विन जोशी जी, शहर काजी इशरत अली जी, श्री विनायक पांडे जी, श्री गोलू शुक्ला जी, विधायक श्री संजय शुक्ला जी, आचार्य रामचंद्र जी शर्मा ‘वैदिक’, महंत लक्ष्मणदास जी महाराज, और श्री बिड़वाल जी भी उपस्थित थें।