more
यादों में आपातकाल- समापन, राहुकाल से लोकतंत्र के निकलने की शेषकथा!
“इमरजेन्सी के कंलक के काले धब्बे इतने गहरे हैं कि भारत में जबतक लोकतंत्र जिंदा बचा रहेगा तबतक वे बिजुरके की भाँति टँगे दिखाई देते रहेंगे” -जयराम शुक्ल चाटुकारिता भी
आपातकाल नहीं चाहिए तो फिर कुछ बोलते रहना बेहद ज़रूरी है !
-श्रवण गर्ग कुछ पर्यटक स्थलों पर ‘ईको पाइंट्स’ होते हैं जैसी कि मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान माण्डू और सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध पचमढ़ी के बारे
मध्यप्रदेश : दरकती विचारधाराओं में पक्ष- प्रतिपक्ष
-राकेश दुबे मध्यप्रदेश राजनीति के वैचारिक क्षरण के अंतिम पायदान की ओर अग्रसर है | वो घड़ी नजदीक आ रही है जब आधी जिन्दगी कांग्रेस का झंडा थामने वाले, भाजपा
छग में गोबर खरीदी: आर्थिक नवाचार या राजनीतिक ‘अवशेष’वाद’…!
अजय बोकिल यकीनन छत्तीसगढ़ सरकार का यह फैसला गोबर को प्रतिष्ठा दिलाने वाला है। वरना ‘पंच गव्य’ का यह पांचवा तत्व आर्थिक रूप से भी उपेक्षित ही रहा है। बावजूद
उनाकोटी प्रकृति की गोद में बसा अनूठा स्थल जहां 99999 मूर्तियां विराजमान है
उनाकोटी मे,देवी-देवताओं की एक लाख मुर्तियों मे,एक कम,अर्थात कोटी(लाख) मे एक कम,इसीलिए इस इस स्थान का नाम उनाकोटी है। बाय रोड सिलचर (असम) से 160 किलोमीटर और अगरतला(त्रिपुरा) से 126
सौ टंच
अरविंद तिवारी राष्ट्रीय सेवक स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच तालमेल न जमने के कारण कई बार बात बिगड़ जाती है। लेकिन पिछले दो-तीन महीनों में जिस तरीके
यादों में आपातकाल-दो, गुजरात से उठा शोर कि चमनभाई चोर!
-जयराम शुक्ल कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा इंदिरा इज इंडिया गली कूँचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी सेठी को हटाकर श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया
ब्यूटी बाजार: ‘लवली’ को ‘फेयर’ से अलग करने का दबाव…!
अजय बोकिल अमेरिका से उठे अश्वेतों के नस्लवाद विरोधी आंदोलन का एक सकारात्मक असर भारतीयों के गोरेपन के (दुर्) आग्रह पर भी होता दीख रहा है। इस देश में लगभग
कब्र पूजा – मुर्खता अथवा अंधविश्वास
डॉ विवेक आर्य चंद दिनों पहले अमिश देवगन टीवी रिपोर्टर ने मीडिया में अजमेर के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पर एक बयान दिया था। उनके इस बयान के विरुद्ध प्रतिक्रिया होने
माजुली को धरती का स्वर्ग क्यों कहा जाता है ?
किसी समय यह 1250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मे फैला हुआ,संसार का सबसे बढा नदी द्वीप था।ब्रम्हपुत्र नदी मे स्थित यह द्वीप, पानी के कटाव और मानवजनित कारणो से,वर्तमान मे,केवल 421
यादों में आपातकाल-दो, जब जेपी की हुंकार से सिंहासन हिल उठा
-जयराम शुक्ल कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा इंदिरा इज इंडिया गली कूँचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी सेठी को हटाकर श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया
चाटुकारों के झाँसे ने देश को तानाशाही से बचा लिया
जयराम शुक्ल चाटुकारिता भी कभी-कभी इतिहास में सम्मान योग्य बन जाती है। आपातकाल के उत्तरार्ध में यही हुआ। पूरे देश भर से चाटुकार काँग्रेसियों और गुलाम सरकारी मशीनरी ने इंदिरा
बहार आई हुई है कच्चे केले की, हर दिन बिक रहा सैकड़ो किलो!
इंदौर: कीर्ति राणा।परेशानियां चाहें जितनी हों यदि व्यक्ति हिम्मत न हारे तो मुसीबत से निकलने का रास्तामिल ही जाता है।कुछ ऐसा ही हुआ है केला उत्पादक किसानों और सस्ते ज्यूस
इंदिरा की जेल में नेता, गुंडे, गिरहकट एक भाव!
जयराम शुक्ल पंद्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी यदि सरकारी आयोजन न होते तो पब्लिक इन्हें कब का भुला चुकी होती। लेकिन कुछ ऐसी तिथियां हैं जिन्हें राजनीति तब तक भूलने नहीं
बुखार और आपातकाल सूचना देकर नहीं आते,लक्षणों से ही समझना पड़ेगा
श्रवण गर्ग कुछ लोगों को ऐसा क्यों महसूस हो रहा है कि देश में आपातकाल लगा हुआ है और इस बार क़ैद में कोई विपक्ष नहीं बल्कि पूरी आबादी है
‘कोरोनिल’ के बहाने बाबा रामदेव को मोदी सरकार का ‘दिव्य’ झटका ?
अजय बोकिल कोरोना महामारी की कथित रामबाण दवा ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ पर रोक लगाकर मोदी सरकार ने बाबा रामदेव को तगड़ा झटका दे दिया है। इससे भड़के बाबा ने ट्वीट
छोटे दुकानदार ही नहीं, बल्कि देश के नामचीन निर्माता भी रतलामी सेंव का नाम प्रभावित कर रहे हैं
ललित भाटी रतलामी सेंव, यह नाम आज केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वर्तमान में विश्व स्तर पर अपनी विश्वसनीयता के साथ प्रख्यात है। लेकिन इस विश्वव्यापी प्रसिद्धि का दुरूपयोग
जगदीशप्रसादजी वैदिक को जानने वाला लगभग हर व्यक्ति उन्हें आदर से ‘भैयाजी’ कहा करते थे
स्वेतकेतु वैदिक की कलम से संपूर्ण मालवा-निमाड़ सहित पूरे मध्य- भारत में आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुषों में से एक
ऐसा लगने लगा, मानो हम संसार के अंतिम छोर की और जा रहे हो
गिरीश सारस्वत तथा श्रीकांत कलमकर हमारी लाहुल-स्फीति की बाईक यात्रा चौथी किश्त (सातंवा-आठवां दिन) अगली सुबह बाइक में,नया ट्यूब डाल कर,हम चल दिए,हमारी आखरी मंजिल काजा के लिए,चितकुल से जैसे-जैसे,हम
जब काग़ज़ के पुर्ज़े ही क़ीमती स्मृति चिन्ह बन जाते हैं !
-श्रवण गर्ग पच्चीस जून ,1975 का दिन। पैंतालीससाल पहले देश में ‘आपातकाल’ लग चुका था। हम लोग उस समय ‘इंडियन एक्सप्रेस’ समूह की नई दिल्ली में बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग स्थित