BJP नेता हितेश वाजपेयी ने कांग्रेस की विफलताओं को किया उजागर

Shivani Rathore
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सदन में जनता से जुड़े विषयों पर सरकार से बात हो इसकी जिम्मेदारी प्रतिपक्ष की होती है ! सदन में या सदन के बाहर कांग्रेस का कोई जुड़ाव ही नहीं दिखा जन सरकारों से !
एक भी मीडिया बाईट नर्सिंग प्रोपगंडा को छोड़कर हमें नहीं सुनाई दी !

जैसे कि यदि मैं प्रतिपक्ष में होता तो चिकित्सा शिक्षा और सेवाओं के विभागों के विलय को हम कैसे बेहतर बना सकते हैं इस पर विमर्श का प्रयास करता और इस विषय पर प्रतिपक्ष इसकी चुनौतियों को बताता ! प्रधानमंत्री के रर्बन-विकास मॉडल और मध्यप्रदेश पर एक अच्छा विमर्श हो सकता था !

मोटे अनाज के बीजों की क्या बेहतर व्यवस्था हो सकती है जबकि ये अब एक अच्छी व्यावसायिक-खेती में आ गया है और प्रधानमन्त्री जी के प्रयासों से अच्छी कीमत भी मिलने लगी है! हम हर संभागीय मुख्यालय पर कैसे पेट-स्कैन और कैंसर केयर को सरकारी संस्थानों में उपलब्ध करा सकते इस पर विमर्श होकर कार्ययोजना बन सकती थी!

आयुष्मान योजना एक सफल योजना है गरीब वर्ग के लिए तो उसे मध्यम वर्ग और शासकीय व् अर्धशासकीय वर्ग तक कैसे पहुंचा सकते हैं इस पर एक मार्गदर्शक विमर्श हो सकता था! परन्तु सारा का सारा समय उमंग जी और हेमंत भाई के अपरिपक्व एकमेव राजनैतिक स्कोर के लिए कुर्बान हो गया जबकि बजट सत्र जनता की आवश्यकताओं को उसमें समाहित करने के आग्रहों के साथ संपन्न हो सकता था!

इस प्रतिपक्ष ने हमें निराश किया है क्योंकि ये जनता के पैसे से केवल अपनी राजनैतिक भूख मिटाने का प्रकल्प मात्र बनकर रह गया है, इससे जनता को कुछ भी हासिल नहीं हुआ जो की दुर्भाग्यजनक है !

मुख्यमंत्री जी नए मुख्यम्नत्री होने के नाते सकारात्मक विमर्श के दरवाजे खोलकर आये थे जो कि हमेशा उनकी बॉडी-लैंग्वेज से प्रदर्शित भी हुआ क्योंकि अपमानजनक परिस्थितियों में भी कभी उन्हीने अपना आप नहीं खोया अपितु वे कुछ सार्थक विमर्श के प्रतिफल का इंतज़ार ही करते रह गए !