बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के वहम को फ़ैलाने और बढ़ाने के इल्ज़ामों के मध्य अब नेता कैलाश विजयवर्गीय बाबा के सपोर्ट में आ गए हैं. बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर लगे दोषों को गलत बताया है. वहीं खुद बाबा भी अपने स्पष्टीकरण में स्पष्ट कह चुके हैं कि मैंने कभी नहीं बोला कि मैं भगवान हूं. मैं किसी भी प्रकार का कोई वहम नहीं फैला रहा हूं.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सपोर्ट में आ गए हैं. उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास उन्मूलन कमेटी द्वारा लगाए इल्ज़ामों को झूठ और सरासर गलत बताया है.
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राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मैंने उनका एक साक्षात्कार देखा है. उन्होंने कहा है कि यह मेरा मिरेकल नहीं, यह मेरे आराध्य का चमत्कार है, मुझे हनुमानजी और संन्यासी बाबा पर भरोसा है. सब कुछ उनकी इच्छा और उनकी कृपा दृष्टि से ही होता है. मैं तो कुछ भी नहीं, मैं तो उनका छोटा सा साधक हूं. इसलिए पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर इस प्रकार के इल्ज़ाम लगाना सरासर गलत है.
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जावरा दरगाह में व्यक्ति जमीन पर लोटते, पीटते हैं, लेकिन इस विषय में कोई ज़िक्र नहीं करता हैं. क्या किसी ने जावरा पर कभी प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं. और एक हिंदू महात्मा के समीप इस प्रकार की वृत्तांत होता है, तो सवाल खड़े कर देते हैं.
हम अंधविश्वास या वहम नहीं फैला रहे
चर्चित कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने एक दिन पूर्व इल्ज़ामों पर अपनी बेगुनाही दी हैं कि – हम किसी भी प्रकार का अंधविश्वास नहीं फैला रहे. हम इस बात का दावा नहीं करते कि हम कोई परेशानी दूर कर रहे हैं. मैंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आर्टिकल के अंतर्गत मज़हबी आज़ादी के अधिकार है और उसी के अंतर्गत वह धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा डिस्क्लेमर है कि हम कोई संत या साधू नहीं हैं. उनका कहना है- मैं नागपुर से नहीं भागा. यह बिल्कुल गलत बात है. हमने पहले ही बता दिया था कि 7 दिन का ही प्रोग्राम होगा. इसके बाद उन्होंने कहा कि जब मैंने दिव्य सभा लगाई थी. तब फ़रियाद लेकर क्यों नहीं आए? ये छोटी मानसिकता के लोग हैं और हिंदू सनातन के विपक्षी हैं.
अंध विश्वास उन्मूलन कमेटी का यह है इल्जाम
धीरेंद्र शास्त्री की महाराष्ट्र के नागपुर में ‘श्रीराम चरित्र-चर्चा’ का आर्गेनाइजेशन हुआ था. अंधश्रद्धा उन्मूलन कमेटी ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने और अंध विश्वास को बढ़ावा देने के कई का आरोप लगाए थे.
समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा था कि ‘दिव्य दरबार’ और ‘प्रेत दरबार’ की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है. देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी और शोषण भी किया जा रहा है.’ इसके बाद दावा किया गया है कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति की वजह से दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को ही धीरेंद्र शास्त्री की कथा संपन्न हो गई.
कहा गया कि जब समिति ने पुलिस से शिकायत की तो शास्त्री भाग निकले. समिति ने कहा कि बाबा के समर्थकों को यह बात पता चल गई कि महाराष्ट्र में जो अंधश्रद्धा विरोधी कानून है, उसमें गिरफ्तारी हुई तो जमानत नहीं होगी, इसलिए बाबा ने पहले ही पैकअप कर लिया.