Middle Class Taxpayers : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में भारतीय टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव हुए हैं। इन बदलावों का सीधा असर मिडिल क्लास और उच्च आय वर्ग के टैक्सपेयर्स पर पड़ा है। जहां मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स पर इनकम टैक्स का बोझ कम हुआ है, वहीं 50 लाख रुपये से अधिक कमाई करने वालों पर टैक्स का बोझ बढ़ा है।
मिडिल क्लास को मिली राहत
मोदी सरकार के कार्यकाल में 20 लाख रुपये से कम कमाने वाले टैक्सपेयर्स पर इनकम टैक्स का बोझ कम हुआ है। खासकर, जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये तक है, उन्हें अब इनकम टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ता। इससे मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिली है। 2014 में, 2 लाख रुपये तक सालाना आय वालों को भी टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है। इसके साथ ही, 10 लाख रुपये से कम कमाने वाले टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ 2014 के 10.1 फीसदी से घटकर 2024 में 6.22 फीसदी रह गया है।
50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों पर बढ़ा बोझ
वहीं, 50 लाख रुपये या उससे अधिक सालाना कमाई करने वाले टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ बढ़ा है। 2013-14 में, ऐसे टैक्सपेयर्स की संख्या 1.85 लाख थी, जो 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख हो गई है, यानी 5 गुना उछाल आया है। टैक्स का बोझ भी इस वर्ग पर बढ़ा है। 2014 में इन टैक्सपेयर्स को 2.52 लाख रुपये टैक्स देना पड़ रहा था, जो अब 2024 में बढ़कर 9.62 लाख रुपये हो गया है।
76% टैक्स आता है उच्च आय वर्ग से
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरकार को मिलने वाले कुल इनकम टैक्स का 76% हिस्सा उन टैक्सपेयर्स से आता है, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है। इसका मतलब है कि उच्च आय वर्ग पर टैक्स का बोझ ज्यादा बढ़ा है और यही सरकार की टैक्स वसूली का मुख्य स्त्रोत बन रहा है। इसके साथ ही, इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है।
टैक्स चोरी पर सख्ती और नए टैक्स रिजीम का प्रभाव
मोदी सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं। इसके तहत, कालेधन पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून भी लाए गए। इसके परिणामस्वरूप, 2024-25 के असेसमेंट ईयर में 8 करोड़ टैक्स रिटर्न फाइल किए गए हैं, जिसमें से 74% टैक्सपेयर्स ने नए टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न दाखिल किया है।
कुल मिलाकर, मोदी सरकार के दौरान टैक्स व्यवस्था में हुए सुधारों ने मिडिल क्लास को राहत प्रदान की है, जबकि उच्च आय वर्ग पर टैक्स का बोझ बढ़ा है। इसके साथ ही, सरकार की प्रयासों के चलते टैक्स के मामले में पारदर्शिता आई है और टैक्सपेयर्स की संख्या भी बढ़ी है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं।