आज पंजाब के करीब 30 किसान संगठन ने देश की राजधानी में केंद्र सरकार द्वारा लाये गए नए किसान कानून का विरोध करने महाधरना प्रदर्शन कर रहे है। इस महाधरना प्रदर्शन के लिए किसानों ने पंजाब एवं हरियाणा से दिल्ली की ओर धावा बोल दिया है। इस आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली की बॉडर को सील कर दिया है। हरियाणा सरकार ने पंजाब बॉडर को भी सील कर दिया है। और सरकार ने लोगो से अपील करी है की 2 दिन तक दिल्ली की तरफ जाने से बचे।
अब धीरे धीरे यह प्रदर्शन उग्र होते जा रहा है। किसानों द्वारा पुलिस पर पथराव होने लगा है तो पुलिस की ओर से भीड़ पर काबू पाने के लिए किसानों पर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे है। लेकिन अभी सवाल आता है कि ऐसे क्यों हो रहा है ? और हो भी रहा है तो सिर्फ पंजाब में ही क्यों? जबकि यह कानून तो पूरे देश में ही लागू हुआ है।
क्या हुआ कानून ?
पंजाब में जिस बिल के पीछे सारा घमासान हो रहा है उनमें 3 कानून का आदेश पारित हुआ है। पहले कानून के अंतर्गत किसान अपनी फसल को देश के किसी भी कोने में बेच सकता है। दूसरे कानून में खेती से जुड़े सारे रिस्क किसान पर नहीं डालने का प्रावधान है। तीसरे कानून मेंमें कोल्ड स्टोरेज, फूड सप्लाई चेन के आधुनिकीकरण की बात है।
क्या पंजाब में किसान को डराया जा रहा है ?
केंद्र सरकार द्वारा यह बिल इसी साल सितंबर में पास किया गया। पंजाब में इस बिल को लेकर किसानों को डराया गया की यह कानून उनको बरबाद कर देगा। तो क्या यह सच हिअ की किसानों को इस बिल से नुकसान हुआ है। किसानों को यह बोलकर डराया कि आगे चलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार ने इस साल पंजाब-हरियाणा में 26 सितंबर से और अन्य राज्यों में एक अक्टूबर से धान की खरीद शुरू कर दी थी।
इस साल पंजाब ने अब तक 18000 करोड़ रू की कमाई की है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस खरीद में पंजाब सरकार एफसीआई से टैक्स की शक्ल में 6 परसेंट हिस्सा लेती है. यानी पंजाब सरकार किसानों की मेहनत पर दो महीने में 1080 करोड़ रुपये कमा चुकी है। लेकिन सवाल यह हिअ कि अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसानों की इतनी ही फिक्र थी। तो उन्हें टैक्स से मिलने वाली रकम को भी किसानो को ही देना चाहिए था। लेकिन जारी आकंड़ो के अनुसार नए कानून लागू होने के बावजूद पंजाब को भरपूर फायदा मिला है। लेकिन इस विरोध से देश को सिर्फ नुसकान हुआ है।