सुप्रीम कोर्ट ने किसी दूसरे के नाम से ली गई संपत्ति को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। बेनामी संपत्ति कानून-0216 को कथित रूप से निरस्त कर दिया हैं। इस कानून के तहत अगर किसी व्यक्ति ने दूसरे के नाम पर कोई संपत्ति खरीददारी करता है तो उसे तीन साल के लिए जेल का प्रवधान था। लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कर दिया है कि बेनामी संपत्ति पर जेल नहीं होगी।
किस धारा के अन्तर्गत होती थी सजा
अगर किसी व्यक्ति को बेनामी संपत्ति का मामला सामने आता था तो उसके खिलाफ बेनामी ट्रांजेक्शनक एक्ट 2016 की धारा 3(2) के तहत केस दर्ज कर उस पर कार्यवाही की जाती थी। लेकन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, यह धारा स्पष्ट रूप से मानमानी है। कानून 2016 के तहत सरकार को मिला संपत्ति जब्त करने का अधिकार पिछली तारिख से लागू नहीं हो सकता है।
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बेनामी संपति है?
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के नाम से प्रोपर्टी तो खरीदता है लेकिन उसकी कीमत वह खुद को ही चुकाना होता हैं। जैसे अगर संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गई हैं। ऐसी संपत्ति को बेनामदार या बेनामी संपत्ति कहते है। हालांकि, जिसके नाम पर इस संपत्ति को लिया गया होता है वो केवल इसका नाममात्र का मालिक होता है, जबकि असल हक उसी व्यक्ति का होता है, जिसने उस संपत्ति के लिए पैसे चुकाए होते हैं।
गौरतलब है कि, पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने काले धन के लेनदेन को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसी को लेकर ‘बेनामी संपत्ति’ भी सुर्खियों में रहा। इतना ही बेनामी संपत्ति के मामलों को कम करने के लिए कई तरह की स्कीम भी बनाई गईं थी।