जल्द ही बदल सकता है भोपाल का नाम, ‘भोजपाल’ करने की मांग पर बोले सीएम ‘भेजेंगे प्रस्ताव’

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Bhopal: प्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल (Bhojpal) करने की मांग अब फिर तेज हो गई है. अब जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भोपाल का नाम ‘भोजपाल’ करने की मांग की है. उन्होंने कहा है वो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात करेंगे.

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने की सी एम् से मुलाकात

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज भोपाल में 1361वीं श्रीराम कथा कर रहे थे. मंगलवार को इसका समापन हुआ. इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे. इस दौरान रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि जब तक भोपाल का नाम ‘भोजपाल’ नहीं होगा, वह भोपाल में कथा करने नहीं आएंगे. वो चौहान से भी आह्वान कर चुके हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले भोपाल का नाम भोजपाल कर दें. इस पर शिवराज ने कहा, ”मैं अकेला नहीं कर सकता, प्रस्ताव भेजा जाएगा.”  मुख्यमंत्री के इस जवाब के बाद रामभद्राचार्य महाराज ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि आप निश्चिंत रहें, भोपाल ‘भोजपाल’ होकर रहेगा.

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रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि भोपाल ‘भोजपाल’ हो जाएगा तो संस्कृत के स्वाभिमान की रक्षा हो जाएगी. संस्कृत का स्वाभिमान हमारे राष्ट्र से जुड़ा हुआ है. उन्होंने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से कहा कि एमपी विधानसभा में प्रस्ताव लाकर भोपाल का नाम भोजपाल कर देना चाहिए. यदि मप्र सरकार भोपाल का नाम बदल देगी तो मैं फिर से यहां वापस आऊंगा.

क्यों होना चाहिए भोपाल का नाम भोजपाल

रामभद्राचार्य ने कहा कि वर्तमान में योग को महत्वपूर्ण माना जाता है. पीएम मोदी की कोशिश के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को ‘इंटरनेशल योगा डे’ भी घोषित कर दिया. उन्होंने कहा कि जिस योग सूत्र की रचना महर्षि पतंजलि ने की थी, उसकी व्याख्या महाराज भोज ने की थी. वैसे राजा भोज के नाम पर राजधानी भोपाल का नाम भोजपाल हो जाता है तो ये मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत का गौरव बढ़ाने वाला कार्य होगा. उन्होंने कहा कि जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है, तो भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल क्यों नहीं किया जा सकता?

रामभद्राचार्य से पहले शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि गुलामी के हर प्रतीक को हम बदलेंगे. उन शहरों और गांवों के नाम जो हमें गुलामी की याद दिलाते हैं, वह मध्य प्रदेश में न रहें. इसी संकल्प के साथ होशंगाबाद का नाम बदला गया है.

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