भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल में 72 घंटे की जीवित समाधि से बाहर आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद अब इस तप के बाद महंत पुरुषोत्तमानंद कहलाएंगे. तीन दिन एक ही मुद्रा में समाधि में रहने के बाद सकुशल लौटे मंहत पुरुषोत्तमानंद ने बताया कि इस पूरी अवधि में मां दुर्गा उनके साथ बनी रहीं.
उन्होंने इस दौरान की अनुभूति बताते हुए कहा कि मां दुर्गा ने उन्हें बच्चे की तरह स्नेह किया और ऊंगली पकड़कर दूसरे लोक के दर्शन करवाए वो अनुभव अलौकिक था. मंहत पुरुषोत्तमानंद महाराज सात फीट गहराई में बैठकर तपस्या पूरी करने के बाद जब बाहर आये तो नए संकल्प के साथ अब वे पहले 84 घंटे और फिर 108 घंटे की जीवित समाधि लेंगे.
उन्होंने कहा, मैं खुद नहीं समझ पा रहा था कि ये क्या हो रहा है. मेरे हृदय, मेरे मस्तिष्क पर सिर्फ माताजी का प्रभाव था. अंत में एक-एक कर जब सारी शक्तियां मुझमें आ गईं, तो माता स्वयं सिंह के रथ पर प्रकट हुईं. मुझे बुलाते हुए कहा- हे भक्त! तू मेरे साथ चल, तूने मेरे वचन का पालन किया है. तुझे स्वर्ग लोक की यात्रा कराती हूं. महाराज ने यह भी बताया उन्हें केसे नजारे दिखे.
Also Read: कांग्रेस नेता ने लंपी वायरस आने की वजह बताई चीते, BJP ने जमकर साधा निशाना
आपको बता दें महाराज के भूमिगत तपस्या करने की भनक लगने पर पुलिस उनके निवास स्थल भी पहुंची थी. पुलिस ने उनसे भूमिगत तपस्या नहीं करने के लिए आग्रह किया था. महाराज इसे अपना संकल्प बताते हुए नहीं माने। महाराज का कहना था कि उन्होंने भूमिगत तपस्या करने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति मांगी थी, लेकिन नहीं मिली. उधर, प्रशासन का कहना था कि अनुमति भागवत कथा और दूसरे धार्मिक आयोजन के लिए मांगी गई थी.