हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस (republic day) 26 जनवरी को मनाने की पूरी तैयारी हो गई हैं. इस साल हम अपना 74 वा गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे है, यहां तक कि देश में 74वें गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राजधानी दिल्ली और कर्तव्य पथ तैयार हो गया है. लेकिन क्या आप जानते है की हम गणतंत्र दिवस क्यों मानते है? या इसे सिर्फ २६ जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ? बहुत से लोग होंगे जिन्हें ये मालूम नहीं होगी कि आखिर गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता हैं. आइये आपको हम हमारे गणतंत्र से जुडी उन जानकारियों के बारे में बताते है जो हर भारतीय को अवश्य मालूम होनी चाहिए.
26 जनवरी 1950 लागु हुआ था भारत का संविधान
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है. आजादी मिलने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ था. संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया. दुनिया के इस सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 माह, 18 दिन लग गए थे. 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र बना. इस के छह मिनट बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. तभी से इस दिन राजधानी दिल्ली में एक विशाल परेड आयोजित होती है और संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते है इसी दिन के बाद से देश को आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य के रूप में जाना गया. स्वतंत्रता प्राप्त करने के दो साल बाद, इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था.
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कहां मनाया गया पहला गणतंत्र दिवस
आजाद भारत में पहली बार 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया था. पहली बार पुराना किला के सामने स्थित इरविन स्टेडियम में गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित की गई थी. आज के समय में इस जगह पर दिल्ली का चिड़ियाघर है और इरविन स्टेडियम को बाद में नेशनल स्टेडियम और अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है.
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण की बजाय झंडा फहराया जाता है. दोनों शब्द एक जैसे ही हैं लेकिन दोनों का मतलब बिल्कुल ही अलग हैं. भारत में साल में 2 बार तिरंगा फहराया जाता है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया जाता है लेकिन दोनों में ही अंतर है. दरअसल, स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है फिर उसे खोल कर फहराया जाता है. इसे ध्वजारोहण कहते हैं.वहीं गणतंत्र दिवस के मौके पर यानी कि 26 जनवरी को झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है. संविधान में इसे Flag Unfurling कहते हैं.
15 अगस्त को प्रधानमंत्री करते हैं ध्वजारोहण
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था तब संविधान न होने के चलते भारत के मुखिया प्रधानमंत्री ही थे. इस दिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार झंडा फहराया था.
26 जनवरी को राष्ट्रपति फहराते हैं तिरंगा
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री लाल किले से ध्वजारोहण करते हैं. वहीं 26 जनवरी 1950 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति बन चुके थे और राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है. यही वजह है कि तब से लेकर अब तक 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं. पहले स्वतंत्रता दिवस के दौरान, भारत में राष्ट्रपति नहीं थे.
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