देश में नवीन अधिनियम भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रवर्तन के एक दिवस पूर्व पुलिस लाईन झाबुआ स्थित सामुदायिक भवन में विचार वार्ता का आयोजन पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल के मार्गदर्शन में किया गया।
विधि विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि माननीय ईश्वर सहाय श्रीवास्तव, पूर्व न्यायमूर्ति, उच्च न्यायालय, विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, डॉ. प्रभु नारायण मिश्र, जिला प्रधान न्यायाधीश विधि सक्सेना, सत्र न्यायाधीश सुनहरे, रजिस्ट्रार न्यायाधीश व्हीपीएस चौहान, विदुषी निवृत्ति मिश्रा, ख्यात समाजसेवी मधुलिका शुक्ल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे सहित अधिवक्ता संघ झाबुआ के दीपक भंडारी सहित जिले के गणमान्य नागरिक, अधिवक्ता समाजसेवी, पत्रकारगण, पुलिस अधिकारीगण की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस कार्यक्रम के पूर्व न्यायमूर्ति श्रीवास्तव , प्रोफेसर मिश्र, जिला प्रधान न्यायाधीश विधि सक्सेना ने पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल के साथ रक्षित केंद्र झाबुआ में वृक्षारोपण किया। तत्पश्चात पुलिस अधीक्षक शुक्ल के एकल एवं नवाचार प्रयास से निर्मित ई-लर्निंग केंद्र, लाइब्रेरी का उद्घाटन न्यायमूर्ति श्रीवास्तव के मुख्य आथित्य में किया गया। माननीय ने अपने शुभकामना संदेश को ई-लर्निंग केंद्र की विजिटर्स बुक में दर्ज किया।
माननीय न्यायमूर्ति तथा प्रोफेसर मिश्र सहित उपस्थित सभी विधि वेत्ताओं द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में किए जा रहे पुलिस के नवाचार की सराहना की। “विधि विचार वार्ता” कार्यक्रम में उक्त समस्त अतिथियों ने परंपरानुसार मां सरस्वती की प्रतिमा की पूजा अर्चना की। कार्यक्रम में स्वागत भाषण अति. पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे ने देते हुए कार्यक्रम की महत्ता के संबंध में प्रस्तावना प्रस्तुत की।
जिला प्रधान न्यायाधीश झाबुआ विधि सक्सेना ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक दिन बाद पूरे देश में प्रवृर्तित होने वाले तीन नवीन अधिनियमों की उपयोगिता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। निरीक्षक दिनेश शर्मा ने मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति श्रीवास्तव की जीवन परिचय न्याय यात्रा का वृतांत प्रस्तुत किया।
न्यायमूर्ति ने दशकों से जन अपेक्षाओं के अनुरूप नवीन अधिनियमों प्रस्थापना के संबंध में प्रसन्नता व्यक्त की । साथ ही स्पष्ट किया और आमजन को इस मंच के माध्यम से विश्वस्त किया कि नवीन अधिनियमों के प्रवर्तन के साथ ही देश में त्वरित, निष्पक्ष और सुगम न्याय प्राप्त हो सकेगा। नवीन न्याय प्रक्रिया से पीड़ित पक्ष को न्याय और साक्षी को सुरक्षा का बोध होगा। उन्होंने अपने उद्बोधन में विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नवीन प्रावधानों के प्रर्वतन में विवेचक संस्था तथा पुलिस सजग रहें।
किसी भी परिष्कृत परिवर्तन में जटिलता आती है किंतु ज्ञान और कार्य अनुभव के माध्यम से समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि नई विधि प्रावधानों में महिला, वृद्ध, बालक को नए ढंग से परिभाषित किया जाकर इस वर्ग के प्रति अपराध की रोकथाम तथा अपराध होने पर त्वरित न्याय की व्यवस्था की गई है। अब जीरो पर एफआईआर दर्ज तो होगी ही साथ ही E-FIR भी दर्ज कराई जा सकेगी। महिला, वृद्ध व बच्चों से उनकी सुविधा के स्थान पर पूछताछ की व्यवस्था नए कानूनी प्रावधानों में है। देश के बाहर बैठे या देश के भगोड़े अपराधियों के विरुद्ध उनकी अनुपस्थिति में मामले का विचारण होकर दण्ड सुनाया जा सकेगा। जिससे ऐसे उद्घोषित अपराधियों को दोषसिद्ध किया जाकर उनका विदेश से प्रर्त्यपण आसान होगा। अपराध और आतंकवाद को भी परिभाषित किया गया है। इन कानूनों को एक ओर बड़ी व्यवस्था जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, वो है कानून को लिंगभेद से परे किया गया है। अब इलेक्ट्रानिक डिवाईस के माध्यम से निर्मित डिजीटल डाक्यूमेंट को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में ग्रहण किया जायेगा।
माननीय न्यायमूर्ति ईश्वर सहाय श्रीवास्तव ने इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल की परिकल्पना पर आधारित, समाज के सशक्तिकरण एवं हिंसा मुक्त समाज के निर्माण की दिशा में “रक्षा सखी” कार्यक्रम और इस विषयक कार्ययोजना की पत्रिका का विमोचन किया। कार्यक्रम के अंत में अति. पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे ने सभी पधारे अतिथियों तथा श्रोताओं का आभार ज्ञापित किया