सहानुभूति पाता..लीटर में आटा : नितिन मोहन शर्मा

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नितिनमोहन शर्मा: लीटर में आटा…. जितना गूंज रहा है। उतना फायदा अब राहुल जी के खाते में जा रहा है। महंगाई पर आपका हंसी ठठ्ठा, मनोविनोद, हास परिहास सब लोग देख समझ रहे है। ओर अब क्या इस देश मे फिसलती ज़ुबाने ही मुद्दा रह गई?
ये तो सर्वविदित है कि ये वीडियो भी उसी तरह से काटा छाटा गया है जैसे आलू से सोना वाला वीडियो। पर काट छाटकर करने वाले यहां थोड़ा सा भूल कर गए। आलू से सोना में कांग्रेस असली वीडियो सामने लाने में बड़ी देर कर गई थी। आलू से सोना विषय घर घर के चौके चूल्हें से भी नही जुड़ा था। नतीज़तन आलू सोना लोगो के बीच खूब चटखारे लेकर लोकप्रिय हुआ और कांग्रेस के लिए ऋणात्मक रहा।

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लेकिन इस बार काट छाट करने वाले ये भूल गए कि राहुल महंगाई पर बोल रहे थे। ऐसा मुद्दा जो जन जन को उद्वेलित कर रहा है। आम आदमी की गृहस्थी पर, रसोई पर असर डाल रहा है। “भरे पेट” लोगो से भले ही नही लेकिन सरकारे बनाने बिगाड़ने वाले तबके से महंगाई मुद्दा सीधा जुड़ा है।

आटे के लीटर तक आने से पहले राहुल लीटर के अनुपात में आने वाली वस्तुओं की फेहरिस्त ही पड़ रहे थे कि क्या से क्या रुपये लीटर हो गई ये वस्तुएं। इसी फ्लो में आटा भी आ गया जिसे उन्होंने अगले सेकंड में सुधार लिया। कांग्रेस ने भी इस बार स्वयम को सुधारते हुए पूरा वीडियो हाथों हाथ बाजार में जारी कर दिया।

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अब चूंकि राहुल बोल तो सच ही रहे थे। ये तो मजे लेने वाले भी समझते है। लिहाजा जितना आटा लीटर में चल रहा है उतना महंगाई का आटा गाढ़ा भी होता जा रहा है। महंगाई का मुद्दा चर्चा में आता जा रहा है। और फिर बोलचाल में जुबान के इस फिसलाव को अब जनता भी समझने लगी है। वो आटे को लीटर में लेने की बात पर मुस्कुराहट जरूर देती है लेकिन वाकई आटा… आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहा है ये सचाई भी स्वीकार कर रही है।

तो है नर श्रेष्ठो…
अब राहुल के चक्कर मे अपना आटा गीला मत करो। राहुल तो अब इस मुद्दे पर सहानुभूति के पात्र होते जा रहे है कि बेचारा बात तो सही ही कह रहा है…..!!! जितना लीटर लीटर आप बोलोगे… उतना भीतर भीतर महंगाई का मुद्दा असरकारक होता जाएगा। क्यो लीटर के चक्कर मे राहुल के महंगाई के मुद्दे को चर्चा में ला रहे हो?

आप नही जानते कि वाकई महंगाई एक बड़ा और असरकारी मुद्दा है देश मे? 100 रुपये किलो दाल। 200 रुपये किलो तेल। 110 रुपये लीटर पेट्रोल। 1 हजार की गैस टँकी। 60 रुपये दूध।

फिर भी आप हंस रहे है।
आपकी ये हंसी ही आपके वोट कम कर रही है।
आप लीटर को लेकर गदगद है।
देश महंगाई के मुद्दे पर आपके इस मनोविनोद हास्यविनोद को लेकर हतप्रभ है।
या तो आप भरे पेट हो?
या आपके पास दो पीढ़ी तक नही खुटे… इतना बंदोबस्त है?