दमोह उप चुनाव: कांग्रेस में नायक, भाजपा में सिंधिया किनारे

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* दिनेश निगम ‘त्यागी’

कांग्रेस में मुकेश नायक की गिनती प्रदेश के बड़े नेताओं और अच्छे वक्ताओं में होती है। वे दमोह से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। बावजूद इसके दमोह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें किनारे कर रखा है। मुकेश के भाई सतीश नायक ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। मुकेश भाजपा में तो नहीं गए लेकिन उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने की बात कही है। नायक जैसे नेता के इस स्थिति में पहुचाने के जवाबदार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ही माने जाएंगे। दूसरी तरफ भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए पूर्व विधायक राहुल लोधी को अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में कांग्रेस के वोटों को खींचने में ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्य भूमिका निभा सकते थे लेकिन दमोह चुनाव से उन्हें दूर रखा गया है। नायक की नाराजगी का नुकसान जहां कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है तो सिंधिया को किनारे करने का खामियाजा भाजपा भी भुगत सकती है। मलैया को मनाने में भाजपा नेतृत्व को पहले ही काफी पसीना बहाना पड़ा है।

0 सिंधिया समर्थकों में होती है नायक की गिनती
– यह ठीक है कि मुकेश नायक ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांगे्रस नहीं छोड़ी लेकिन उनकी गिनती सिंधिया समर्थकों में ही होती थी। पहले उनकी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के साथ पटरी नहीं बैठती थी और अब सिंधिया पार्टी छोड़ गए तो मौजूदा नेतृत्व ने भी उन्हेंं किनारे कर दिया। विधानसभा चुनाव में पराजय से भी वे कमजोर हुए थे। कांग्रेस दमोह चुनाव में उनका उपयोग कर सकती थी लेकिन उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गर्इं। भाई सतीश नायक ने भाजपा ज्वाइन की तो उनका भाजपा में जाना पक्का माने जाने लगा। बहरहाल, उन्होंने यह कह कर कांग्रेस को राहत दी है कि वे राजनीति से सन्यास लेने पर विचार कर रहे हैं और अपना ध्यान प्रवचन और धर्म-कर्म पर केंद्रित करेंगे। इस तरह नायक भाजपा में तो नहीं गए, फिर भी इसका नुकसान दमोह में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।

0 इधर भाजपा में ज्योतिरादित्य सीन से गायब
– दमोह में पूरे चुनावी सीन से वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गायब हैं। सियासी पंडित सवाल उठा रहे हैं, क्या दमोह में सिंधिया जैसे दिग्गज नेता की कोई जरूरत नहीं है? या सोची-समझी रणनीति के तहत उन्हें चुनावी परिदृश्य से बाहर रखने के इरादे से पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के प्रचार में स्टार प्रचारक बना दिया गया? बता दें, 30 मार्च को जब दमोह के लिए भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ने अपना पर्चा भरा, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, प्रदेश के मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह सहित भाजपा के प्रमुख दिग्गज नेता मौजूद थे, लेकिन अपने करीब 2 दर्जन विधायकों, मंत्रियों के साथ पाला बदलकर कमलनाथ की सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं थे। सिंधिया के खास समर्थक मंत्री, विधायकों के चेहरे भी नदारद थे। साफ है प्रदेश का भाजपा नेतृत्व दमोह में सिंधिया का दखल नहीं चाहता। संभवत: इसीलिए पश्चिम बंगाल स्टार प्रचारकों की सूची में बाद में उनका नाम जोड़ दिया गया। दमोह के स्टार प्रचारकों की सूची में भी सिंधिया का नाम है लेकिन न वे पश्चिम बंगाल बुलाए गए न ही दमोह।