कहो तो कह दूँ = तो कोरोना का “आयुष्मान”,”आधार” और “गरीबी रेखा” का कार्ड भी बनवा दो नेताजी

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चैतन्य भट्ट

जी हाँ अब ये जरूरी हो गया है कि कोरोना का आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, गरीबी रेखा के नीचे का कार्ड, समग्र आईडी ये सब बनवा दिए जाएँ क्योंकि आखिरकार वो भी तो एक प्राणी है, दुनिया में आया है, उसे भी जिंदगी जीने का हक़ है, जैसे दूसरे प्राणी इस दुनिया में अपना जीवन जी रहे हैं वैसा ही हक़ कोरोना को भी है। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सर्वग्यानी, महाबुद्धिमान, ज्ञान के सागर, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह जी रावत कह रहे हैं l दया और करुणा से लबालब भरे हुए रावत जी को कोरोना के खिलाफ इंसानी यद्ध से घोर निराशा है वे कहते हैं कि कोरोना वायरस भी एक प्राणी है और उसे भी जीने का हक़ है लेकिन हम उसके पीछे लगे हैं इसलिए वो हमसे बचने के लिए तरह तरह के रूप बदल रहा है वो “बहुरूपिया” हो गया है।

रावत जी की बात अपने को तो सही लगी दुनिया में छोटे से छोटे और बड़े से बड़े प्राणी को जीने का हक़ तो है चाहे वो चींटी हो या फिर हाथी, भगवान ने जिसको भी इस धरती पर भेजा है तो कुछ सोच समझ कर ही भेजा है कि वो धरती पर अपनी जिंदगी गुजारे, इसी आधार पर कोरोना भी दुनिया में आ गया है और लोगों के साथ हिल मिल कर रहना चाहता है लेकिन दुष्ट इंसान उसको घास ही नहीं डाल रहा है जबसे कोरोना आया है तब से ही उसका “मर्डर” करने के चक्कर में इंसान लग गया है, रावत साहेब के हिसाब से ऐसा क्या गुनाह कर दिया है कोरोना ने कि सारी दुनिया उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गयी है, अपनी तो पूर्व मुख्यमंत्री जी से एक ही इल्तजा है कि आप तो नेता हो, पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हो आप की तो प्रशासन में पकड़ भी है कम से कम उस गरीब का आधार कार्ड, और आयुष्मान कार्ड तो बनवा दो।

क्योकि जिस गति से उस बेचारे कोरोना पर इंसान हमले कर कर उसको घायल कर रहा है तो उसे भी तो इलाज की जरूरत पड़ेगी, अब सरकारी अस्पताल में तो जान बचने की कोई गेरेंटी बची नहीं है इसलिए कोरोना भी निजी हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहेगा लेकिन जितना पैसा इलाज में लग रहा है उतना पैसा तो अभी उस बेचारे ने कमाया नहीं है एकाध साल ही पहले दुनिया में आया है तो गहने, जेवर, मकान, गाडी घोडा भी उसके पास नहीं है कि उन्हें बेचकर अपना इलाज करवा ले, ऐसे में आयुष्मान कार्ड ही उसका एकमात्र सहारा है, खाने पीने के लिए गरीबी रेखा का कार्ड भी बनवा दो ताकि हर महीने फ्री में अनाज और दीगर खाने पीने की चीजे मिल जाए, और हाँ रावत जी उसका “वोटर आईडी कार्ड” जरूर बनवा देना क्योकि इस देश में कब चुनाव हो जाएँ कुछ कहा नहीं जा सकता है वोटर आईडी होगा तो आपकी पार्टी को तो उसके वोट पक्के हो ही जाएंगे और हो सकता है आप फिर से मुख्यमंत्री बन जाओ।

आखिर फंस ही गए “श्री मोखा जी”
किसी ने सच ही कहा है समय बदलते देर नहीं लगती, कल तक जिन “श्री मोखा जी” जैसा उन्हें जबलपुर के एडीशनल एसपी रोहित काशवानी जो नकली इंजेक्शन मामले की जांच कर रहे है सम्बोधित करते है को जबलपुर शहर के सबसे बड़े अस्पताल के संचालक के रूप में जाना जाता था, बड़े बड़े लोगो से जिनका याराना था, वे अस्पताल संचालक भी थे, बिल्डर भी थे, राजनेता भी थे, बिजनेस मेन भी थे यानि क्या नहीं थे “श्री मोखा जी”l

करोडो रुपयों के मालिक थे, बड़ी बड़ी कारें, लग्जरी लाइफ स्टाइल, विदेशो का सैर सपाटा ऊपर वाले ने ने सब कुछ तो दिया था “श्री मोखा जी” को लेकिन लालच तो लालच है, जब सर पर चढ़ कर बोलता है तो किसी को कुछ नहीं सूझता, लो साहेब उन्होंने नकली रेमेडेसिविर के इंजेक्शन बुलवा लिए और अपने अस्पताल में भर्ती मरीजों को लगवा भी दिए, इतना ही नही इन नकली इंजेक्शनों के बदले जम कर वसूली भी की लेकिन जब “स्टार” अपना मुंह फेर लेते हैं शनि की “साढे साती” और राहु की महादशा शुरू होती हैतो सारा का सारा धरा का धरा रह जाता है l

गुजरात पुलिस ने नकली इंजेक्शन वाले को क्या पकड़ा एक ही झटके में पोल खुल गयी “श्री मोखा जी” की l कल तक बड़ी बड़े गाड़ियों में घूमने वाले श्री मोखा जी को पुलिस की सड़ियल सी जीप में थाने जाना पड़ा और वंहा से एक पॉलीथिन में अपनी “चड्डी बनियान” लेकर सीधे जेल जाना पड़ गया, अब तीन महीने तो “श्री मोखा जी” जेल में ही रहेंगे हो सकता है गुजरात पुलिस भी उन्हें अपने साथ गुजरात की सैर के लिए ले जाए l

जिस विहिप दम पर श्री मोखा जी नेता बने घुमते थे उसने एक ही झटके में “श्री मोखा जी” को तमाम पदों से हटा दिया, कितनी सेवा नहीं की थी श्री मोखा जी ने लेकिन बुरे दिन क्या आये सबने अपना पिंड छुडा लिया लेकिन पुलिस और प्रशासन ने बाकायदा अपनी दोस्ती का फर्ज अदा किया कमजोर धाराओं में मुकदमा कायम कर लिया और जब कमजोर धाराएं होंगी तो उसका फायदा किसे मिलेगा ये बताने की जरूरत नहीं हैl

सुपर हिट ऑफ़ द वीक
“आपने शराब पीना तो छोड़ दिया न” डाक्टर ने श्रीमान जी से पूछा “बिलकुल छोड़ दिया, लेकिन कोई ज्यादा रिक्वेस्ट करता है तो ले लेता हूँ “श्रीमान जी ने कहा “बहुत बढ़िया लेकिन आपके साथ आये ये भाई साहब कौन हैं ” डाक्टर ने पूछा “इनको रिक्वेस्ट करने के लिए रखा है” श्रीमान जी का उत्तर था l