अमित त्रिवेदी पत्रकार
शहरभर में यातयात पुलिस(traffic police) ने नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ युद्धस्तर पर अभियान छेड़ रखा है। लेकिन इंदौर से उज्जैन और उज्जैन से इंदौर आने जाने वाली दनदनाती,दादागिरी से ओतप्रोत,बसों पर कोई लगाम लगाने को तैयार नही है। बात सिर्फ अरविंदो हॉस्पिटल से होते हुए मरीमाता,तक ही ले लेवें। तो यकीन मानिए बतौर वाहन चालक आप सहम जाएंगे।
क्योंकि इस महज चार से पांच किलोमीटर के मार्ग पर इस रूट की बसें जिस तरह दनदनाती है। दो हो या चार पहिया वाहनों को रौदने का प्रयास करती है उसकी वजह से हर कोई डर जाए,जोर जोर से प्रेशर हॉर्न उनका कोतुहल तमाम अधिकारियों को मुंह चिढ़ाते,नजर अंदाज करने का परिचायक साबित करता है।
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इन प्रेशर हॉर्न की वजह से महिला,पुरुष या वृद्ध वाहन चालक कोई भी हो। साइड पकड़ना ही सही समझता है। इस सड़क से यह वाहन जब निकलते है। मानो हर किसी आम राहगीर,वाहन चालक को यह कहती जाती है कि सड़क तो हमारी ही है। बाकी जो चल रहे है। उसका एहसान मानिए।
खटारा बसें,कभी भी हो सकता हादसा
इस मार्ग पर बेधड़क दौड़ रही बसों की हालत देख आप भी समझ जायेंगे की आखिर अंदर माजरा क्या होगा। इन्हें देख परिवहन विभागीय अधिकारियों और जिम्मेदारों की आंखों पर संदेह होता है कि आखिरकार ऐसी बसों को परमिट और फिटनेस वह देते कैसे है। खैर देखकर भी मक्खी निगलना यह रीत रही है। लेकिन आम आदमी का क्या? क्या परिवहन विभाग के जिम्मेदार आम यात्री को सुरक्षित सफर का एहसास नही करवा सकते,या फिर कोई बड़े हादसे का उन्हें भी इंतजार रहता हैं।
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एक तरफ यातायात अमले द्वारा पढ़ाया जा सुरक्षित सफर का पाठ
यातायात अमले द्वारा लगभग पूरे शहरभर में यातायात हर ट्रैफिक सिग्नल पर यातायात नियमो का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस मार्ग पर यातायात पुलिस की अनदेखी समझ से परे है।