world indigenous day : हम सब जानते है की विश्वभर में दिनांक 9 अगस्त को आदिवासी दिवस या मूल निवासी दिवस (world indigenous day) मनाया जाता है। यूरोपीयन ईसाई समाज द्वारा विश्व के अनेक देशों मे वहा के मूल निवासियों को समूल नष्ट कर वह पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया गया है। उन अत्याचारों के बारे में क्षमा मांगने की जगह प्रतीकात्मक रूप से इस दिन को मनाया जाता है।
इस दिन को भारत में मनाने का कोई औचित्य नहीं है। यह का जनजातीय समाज भारत के शेष समाज से मिल जुलकर रहता है किन्तु हिन्दू समाज एवं भारत को तोड़ने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के द्वारा इस दिवस का उपयोग भारत में भी यही अत्याचार शेष हिन्दू समाज द्वारा अपने जनजातीय बंधुओ पर हुए ऐसे अपप्रचार करने के लिए भूल निवासी दिवस के नाम से करते हैं। इतिहास को मनगदत तथा विकृत स्वरूप से परोसा जाता है। इस अपप्रचार को उत्तर देना आवश्यक है।
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भगवान बिरसा मुंडा जी के जन्म दिवस पर 15 नवम्बर को “जनजातीय गौरव Rarr^ 2 pm रूप मे मनाने का निश्चय विश्व हिन्दू परिषद ने किया है। विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस के रूप में सभी जनजातीय जिला केंद्रों एवं सभी प्रांत केंद्रों में मनाना निश्चित किया है। जनजातीय समाज कैसे सम्पूर्ण हिन्दू समाज का अभिन्न अंग अनादी काल से रहा है।
मुग़लों के तथा युरोपियन के आक्रमणों के विरुद्ध सम्पूर्ण समाज के साथ मिलकर उसने कैसा स्वधर्म तथा स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष किया तथा रामायण एवं महाभारत काल से भक्ति शक्ति एवं एकात्मा की मिसाल देशभर में तथा अपने अपने प्रांतों में जनजातीय समाज ने प्रस्तुत की है, यह विषय सर्वविदित है। मध्यप्रदेश में स्वतंत्रतासेनानी टांटया भीत जो कार्य तथा नाम प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण देशभर में सभी जिलों में जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को मनाया जायगा।