केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पूरे देश में आज से लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूरी तरह से “स्वदेशी” है। तीन नए आपराधिक कानूनों ने ब्रिटिश काल की आपराधिक न्याय प्रणाली को समाप्त कर दिया है और इनके लागू होने के बाद ये सबसे आधुनिक कानून बन जाएंगे।
शाह ने कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है और इनसे ‘कई समूहों’ को लाभ होगा। त्वरित सुनवाई और न्याय का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि नए कानूनों के कारण 90 प्रतिशत तक दोषसिद्धि दर की उम्मीद है। दंड की जगह अब न्याय हो गया है। देरी की जगह त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय होगा। गृह मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, पहले केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की जाती थी, लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी।
नए आपराधिक कानून के क्रियान्वयन के खिलाफ खड़े विपक्षी नेताओं का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि पार्टियों को अपनी राजनीतिक लाइन से ऊपर उठकर नई व्यवस्था का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं किसी भी विपक्षी नेता से मिलने के लिए तैयार हूं, जिसे नए आपराधिक कानूनों के बारे में चिंता है।
सोमवार को देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हुए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ने क्रमशः ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया है।