देश में लगातार पिछले दिनों से महंगाई बढ़ती ही जा रही है। इसी बीच एक बार फिर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी गई है। इसके तुरंत बाद तमाम बैकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी है। इसके बाद से ही सभी प्रकार के लोन की ईएमआई में इजाफा हो गय़ा है। बता दें कि, आरबीआई ने बुधवार को रेपो रेट 35 बेसिस प्वाइंट या 0.35 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की थी।
0.50% तक का किया इजाफा
रिजर्व बैंक के रेपो रेट (RBI Repo Rate) बढ़ाने के ऐलान के बाद सबसे पहले अपने ग्राहकों को झटका, एचडीएफसी बैंक ने दिया। एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, एक साल की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में 50 बेसिस प्वाइंट तक की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही एक साल की अवधि के लिए बैंक की एमसीएलआर बढ़कर 8.60 फीसदी हो गई है। गौरतलब है कि ग्राहकों को अधिकांश Loan इसी दर के आधार पर तय होते हैं।
अब तक एचडीएफसी बैंक की ओर से जो एमसीएलआर निर्धारित किया गया था। उसके मुताबिक, एक रात की अवधि के लिए दर 8.20% थी, जिसमें 10 बीपीएस की वृद्धि की गई है। एक महीने के लिए ब्याज दर 8.30% से पांच बेसिस प्वाइंट बढ़ाई गई है। तीन और छह महीने की अवधि के लोन पर MCLR क्रमश: 8.35% और 8.45% कर दी गई है। वहीं एक साल के लिए दरों को 8.10% से बढ़ाकर 8.60% किया गया है।
बैंक ऑफ इंडिया ने उठाया ये कदम
बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट बढ़ाने के बाद अपने रेपो बेस्ड लेंडिंग रेट्स (RBLR) में 35 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर दी। इसके बाद बैंक का RBLR बढ़कर 9.10 फीसदी हो गया है। Bank of India की वेबसाइट के मुताबिक, बढ़ी हुई नई दरें 7 दिसंबर 2022 से लागू होंगी, जब आरबीआई ने Repo Rate बढ़ाया है।
IOB कस्टमर्स का बढ़ा खर्च
एचडीएफसी और बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही एक और बैंक ने अपने ग्राहकों का खर्च बढ़ाया है। इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ने कर्ज की ब्याज दरें MCLR में 15 से 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही बैंक की ओर से रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट को बढ़ाकर 9.10 फीसदी कर दिया है। बढ़ी हुई नई दरें 10 दिसंबर 2022 से लागू होंगी।
Repo Rate बढ़कर 6.25% पर
RBI ने बुधवार को रेपो दर में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। ये केंद्रीय बैंक की ओर से इस साल की गई लगातार पांचवीं वृद्धि थी। ताजा इजाफे के साथ रेपो रेट 6.25 प्रतिशत हो गई है। रेपो दर (Repo Rate) का सीधा संबंध बैंक से लिए जाने वाले लोन (Loan) और ईएमआई (EMI) से होता है। दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि बढ़ोतरी से सभी तरह का लोन महंगा हो जाता है और ईएमआई भी बढ़ जाती है। इसके चलते बैंक अपनी दरों में भी बढ़ोतरी करते हैं।