प्रखर वाणी
गुरु समाज का दर्पण है दिव्य , भव्य , गौरव है…गुरु सिकन्दर की चुनौती बनता पौरव है…गुरु मर्यादा का पाठ है…गुरु ही शिष्यों का ठाठ है…गुरु पर हमको गर्व है…गुरु से ही सारे पर्व हैं…गुरु राम बनाने वाला विश्वामित्र है…गुरु सुदामा की तरह सहज मित्र है…गुरु कृष्ण की कलाओं को आकार देता सांदीपनि है…गुरु ही हवन की ऊर्जा बनती अग्नि है…गुरु ऋषि कृण्व बनकर सत्यवान का मार्ग प्रशस्त करता है…
गुरु चाणक्य बनकर चंद्रगुप्त को दिग्विजय पथ हेतु आश्वस्त करता है…गुरु पीपल के वृक्ष के नीचे तपस्या करता गौतम बुद्ध है…गुरु सदैव अज्ञान के विरुद्ध युद्ध है…गुरु दुनिया को वैराग्य सिखाता विवेकानन्द है…गुरु कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला प्रसन्नता का पुंज आनन्द है…गुरु सत्य , तप , अनुराग और अहिंसा के पथ का अनुगामी है…
गुरु त्याग की प्रतिमूर्ति और विरक्ति का संत महावीर स्वामी है…युग जिसकी कृपा से निरंतर चरैवेति – चैरेवेति कर रहा है…गुरु ही है जिसके महाप्रताप से ये समाज , ये राष्ट्र सुधर रहा है…विज्ञान , तकनीक , धर्म , अध्यात्म , शिक्षा , संस्कार जिससे हासिल है…गुरु ही वो समर्थ पाठशाला है जो हमको बनाता काबिल है…नीति , न्याय , गति , उन्नति की दिशा तय करता है…गुरु ही हमारे लिए दुष्टों का नाश व धर्म की जय करता है…गुरुपूर्णिमा पर गुरु पूजन ज्ञान व विचार का सम्मान है…हमारा देश गुरुओं की महिमा का सदैव करता बखान है…
गुरु गुर सिखाकर हमें गुणवान बनाता है…गुरु – शिष्य के बीच पिता – पुत्र से भी बढ़कर नाता है…दुनिया के सारे ग्रन्थ , मंत्र और सीख हमने जिससे पाई है…वो गुरु ही है जिसने हमारे साथ साधना की कसम निभाई है…तूफान के सम्मुख हमारे लिए चट्टान बनकर जो खड़ा है…दुनिया की सारी बुराइयों से हमारे लिए गुरु ही लड़ा है…गुरु के बताए मार्ग पर ही हमारा होता गमन है…उसी गुरु के चरणों में शत – शत नमन है ।