Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी आज, विधि विधान से ऐसे करें यह पावन व्रत

Pinal Patidar
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Ahoi Ashtami 2021

Ahoi Ashtami 2021 : जिस तरह करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। उसी प्रकार माताएं अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का उपवास अपनी संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए करती हैं। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता अहोई, भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन माता पावर्ती के अहोई स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन नि:संतान महिलाएं भी संतान प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं। आज के दिन माताएं अपनी संतानों के सुखमय जीवन के लिए अहोई माता से आशीर्वाद लेती हैं। इस पर्व को खासतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाता है।

तारों की छांव में होता है पूजन
अष्टमी तिथि को दिनभर उपवास रखने के बाद संध्याकाल में सूर्यास्त होने के उपरांत जब तारे निकलने लगते हैं, उस समय ही अहोई माता की पूजा करने का विधान है। पूर्व या उत्तरदिशा की तरफ अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं। लकड़ी का पाटिया या चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखकर स्वास्तिक बनाएं।

इसके रोली, चावल, पुष्प, कलावा आदि से माता अहोई की भक्तिभाव से पूजा संपन्न करते हुए आठ मीठे पुए या हलवे का भोग लगाकर देवी अहोई को प्रसन्न करें। दाहिने हाथ में गेहूं के सात दाने लेकर कथा का श्रवण या वाचन करना चाहिए। चन्द्रमा के साथ तारों को अर्घ्य प्रदान कर अपने से बड़ों के चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लें।

राधाकुण्ड में स्नान
ऎसी मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुण्ड में स्नान करने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसी कारण अहोई अष्टमी की रात्रि में राधा कुण्ड के स्नान का विशेष महत्व है।