दक्षिण भारत के जंगलों में एक समय पर एक नाम का खौफ हर किसी में था, उसका नाम आते ही सब कांपने लगते थे। वो नाम था वीरप्पन, जिसका असली नाम मुनिस्वामी वीरप्पन था। वीरप्पन ना सिर्फ एक खूंखार डाकू था बल्कि एक तस्कर भी और उसने 2000 से भी ज़्यादा हाथियों की जान ली थी। हर किसी को उसकी लंबी मूंछ और बेखौफ आवाज से डर लगता था।
आज भी तमिलनाडु में उसकी दरिंदगी की कहानियां सुनाई जाती हैं। साल 2023 में नेटफ्लिक्स पर The Hunt for Veerappan के नाम से डॉक्यूसीरीज रिलीज हुई जिसने वीरप्पन की वो खौफनाक कहानियां बयां की जिसकी कल्पना करना भी नामुमकिन सा लगता है। साल 1987 में वीरप्पन का आतंक और बढ़ गया जब उसने दिगंबर नाम के वन अधिकारी को अगवाह कर लिया। वीरप्पन हमेशा वन अधिकारियों से अपनी मुठभेड़ के कारण चर्चा में रहता था।
कोलाथपुर गांव में साल 1993 में वीरप्पन ने एक पोस्टर लगाकर पुलिस अधिकारी लहीम शहीम गोपालकृष्णन को चुनौती दी। पुलिस वालों को उसने इस पोस्टर पर खूब गालियां दी। वीरप्पन की चालाकी की कोई हद नहीं थी। उसे वन अधिकारी पी श्रीनिवास ने एक बार कर लिया था, लेकिन अपनी मक्कारी से वो हथकड़ियां खोलकर भाग निकला इसके बाद श्रीनिवास से बदला लेने के लिए वीरप्पन ने अपने छोटे भाई अरजुनन को भेजा और श्रीनिवास की हत्या कर दी। ये मामला और भी भयानक हो गया जब वीरप्पन ने श्रीनिवास के सिर को काटकर अपने घर ले जाकर उससे फुटबॉल खेला।
साल 2000 में मशहूर अभिनेता राज कुमार का वीरप्पन ने अपहरण कर लिया और 100 दिनों तक उन्हें कैद में रखा। तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों सरकारों को इस दौरान उसने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। वीरप्पन ने आवाज़ से परेशान होकर उसकी खुद की नवजात बेटी की बली चढ़ा दी थी। कर्नाटक एसटीएफ ने साल 1993 में उसकी लाश को एक खड्डे से निकाला।