दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामलें देखने को मिल रहे हैं। इसी के साथ कुछ कयास लगाए जा रहे थे की ये बीमारी केवल समलैंगिक लोगों को ही होती है। लेकिन भारत में 5 मरिजों पर एक स्टडी की गई थी। जिसमें पता चला है कि है कि ये बीमारी किसी को भी हो सकती है चाहें वह समलैंगिक हो या नहीं भी और एक खास बात जिन पांच मरिजों की स्टडी की गई थी वह ना तो कही विदेश गए थे।
हाल ही के दिनों में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ (एनआईवी-पुणे) ने दिल्ली में मिलें 5 मंकीपॉक्स के मरिजों की स्टडी की थी। जिसमें पाया गया कि पांच में से तीन लोगों ने 21 दिन पहले किसी अन्य के साथ संबंध बनाए थे, जबकि दो लोगों ने किसी के साथ भी संबंध नहीं बनाए थे। अगर हम कहें तो पांचो मंकीपॉक्स के मरीज ने समलैंगिक होने की बात नहीं मानी।
गौरतलब है कि, बीते पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयसस ने कहा थी कि, मंकीपॉक्स का सबसे पहला मामला मई में सामने आया। इसके बाद से 98% मामले बायसेक्सुअल या पुरुषों के साथ संबंध रखने वाले पुरुषों में पाए गए हैं। लेकिन, भारत में पांच मरीजों पर हुई स्टडी बताती है कि मंकीपॉक्स का बायसेक्सुअल या समलैंगिक होने से कोई कनेक्शन नहीं है।
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ये बाते निकलकर आई सामने
- मरीज के समलैंगिक या बायसेक्सुअल संबंध नहीं थे।
- इनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं थी।
- मंकीपॉक्स की बिमारी सेक्सुअल ट्रांसमिशन के जरिए नहीं फैलाती है
- एक मरीज को सेक्सुअल कॉन्टैक्ट से हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) का संक्रमण हुआ था।
- मरीज को स्मॉलपॉक्स या मंकीपॉक्स की वैक्सीन नहीं लगी थी।
- संक्रमित होने के 5 से 14 दिन बाद मंकीपॉक्स के लक्षण सामने आए थे।
- पांच में से तीन पुरुष और दो महिलाएं थीं।
सावधान ऐसे फैलती है मंकीपॉक्स बिमारी
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आए हैं, या उसके घावों के संपर्क में आए हैं, तो मंकीपॉक्स से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों, तौलियों या चादर का इस्तेमाल करने से भी वायरस फैलता है। यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। इसके अलावा अगर घर में कोई व्यक्ति संक्रमित है तो उसके इस्तेमाल किए कपड़ों को गैर-संक्रमितों के कपड़ों के साथ धोने से भी ये फैल सकता है।
मंकीपॉक्स के सामान्य लक्षण
- बुखार आना।
- स्किन पर चकत्ते पड़ना। ये चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं।
- सूजे हुए लिम्फ नोड. यानी शरीर में गांठ होना।
- सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द या थकावट।
- गले में खराश और खांसी आना।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है। मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं. बेहद कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है।