देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत की दुखद दुर्घटना में शहादत के बाद CDS का पद खाली हो गया हैं इस वजह से देश के अगले CDS को लेकर चर्चाएँ जोर शोर पर हैं, अगर सब कुछ ठीक रहा और CDS के लिए वरिष्ठता का पैमाना ही अपनाया जाता हैं तो फिर देश के वर्तमान सेनाध्यक्ष Lt. जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस पद के सबसे बड़े और प्रबल दावेदार माने जा रहें हैं।
अगर वर्तमान सेनाध्यक्ष CDS का पदभार ले लेते हैं तो फिर थल सेनाध्यक्ष का पद खाली हो जाएगा। इसमें भी सब कुछ ठीक रहा तो देश के अगले थल सेनाध्यक्ष कारगिल युध्द में बिक्रम बत्रा के कमांडिंग अफसर रहें ,योगेश कुमार जोशी होंगें।
आपको बता दे कि हाल ही में सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी द्वारा अभिनीत फिल्म”शेरशाह” जो कि कारगिल युद्ध के नायक शहीद बिक्रम बत्रा की बायोपिक हैं ,में भी योगेश कुमार जोशी के किरदार को बड़े ही दमदार तरीके से दिखाया गया था। फ़िल्म में जनरल YK JOSHI का किरदार शाताफ फिगर ने निभाया था।
आपको बता दे कि कारगिल युद्ध पर बनी इस फ़िल्म में जनरल YK JOSHI को कोड नेम “चाणक्य” दिया गया था। जो कि कारगिल वार के दौरान उन्हें मिला था। और अब वहीं चाणक्य भारतीय थल सेना के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकते हैं।
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Lt. जनरल योगेश जोशी का जन्म 5 जनवरी 1962 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ था। लेकिन इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा झांसी और फरीदाबाद दोनों जगह से प्राप्त की। Lt. जनरल योगेश जोशी वर्ष 1982 में पहली बार भारतीय सेना से जुड़े थे, और उन्हें सेवा देते हुए लगभग 39 वर्ष बीत गए।
Lt. जनरल योगेश जोशी को अब तक कई शौर्य सम्मान मिल चुके हैं। वर्ष 1999 में कारगिल वार के दौरान ऑपरेशन विजय की सफलता के बाद उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें सेना मेडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल और उत्तम युद्ध सेवा मेडल भी दिए गए।
कारगिल युद्ध के दौरान YK जोशी ने जम्मू कश्मीर रायफल्स की बटालियन NO.13 को कमांड किया था। और उस दौरान वे लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर थे। इस बटालियन को कारगिल युद्ध के सबसे चुनौती पूर्ण टारगेट को RE CAPTURE करने का टास्क दिया गया था।
और वह पिक पॉइंट 4875 था जिसे अब शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा के नाम से जाना जाता हैं। इस टास्क को सफलता पूर्वक पूर्ण कर लेने के बाद जम्मू कश्मीर रायफल्स की बटालियन NO.13 को, कमांडिंग ऑफिसर YK जोशी सहित 25 वीरता सम्मानों से नवाजा गया था, जिसमें दो परमवीर चक्र, आठ वीर चक्र और 14 सेना मेडल थे।
YK जोशी ने युद्ध में वीरता के साथ साथ मानवीय संवेदनाओं का भी ध्यान रखा था। जब 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने अपने मरे हुए सैनिकों की लाशें भी पहचानने से मना कर दिया था उस वक्त YK जोशी ने ही उन पाकिस्तानी सैनिकों की लाशों को पूरे इस्लामिक रीति रिवाज से दफनाया था।