आज सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम सम्बोधन देते हुए कृषि कानून (farm law) वापस लिए जाने की घोसणा की. जहा विपक्ष इसे चुनाव के भय से लिया गया निर्णय बता रहा है तो भाजपा इस लोकतंत्र का सम्मान किये जाने वाला निर्णय बता रही है. इसी कड़ी में मप्र कोन्ग्रेस्स कमिटी के अध्क्षय और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) कू ऐप के माध्यम से लिखते है- छले वर्ष सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे।
बारिश, ठंड, भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे। इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई, किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी, कई-कई राते सड़कों पर गुजारना गुजारना पड़ी, उन्हें तरह-तरह की उलाहना भी सहना पड़ी, कभी उन्हें आतंकवादी, कभी देशद्रोही, कभी दलाल, कभी अन्य नामों से संबोधन किया गया लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।
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कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया, खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिर 1 वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं। यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता, सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी।
किसान जो सड़कों पर 1 वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे, उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी, उस से बचा जा सकता था। जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक, कभी देशद्रोही, दलाल, आतंकवादी तक कहते थे, यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चाई की जीत है, किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है, जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया। जनता यदि इसी प्रकार भाजपा को चुनावों में सबक सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी।