रूह को राहत देने वाला शायर रुखसत हुआ

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इंदौर: मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे, उन्हें निमोनिया के बाद कोरोना भी हुआ था; कार्डिएक अरेस्ट आने के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
इंदौर मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे। वे 70 साल के थे। उन्हें निमाेनिया होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाद में वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। उन्होंने मंगलवार सुबह खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी थी। शाम 5 बजे के करीब उन्हें कार्डिएक अरेस्ट आया और फिर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
निमोनिया के चलते आईसीयू में रखा गया था
राहत इंदौरी के बेटे और युवा शायर सतलज राहत ने बताया था कि पिता चार महीने से सिर्फ नियमित जांच के लिए ही घर से बाहर निकलते थे। उन्हें चार-पांच दिन से बेचैनी हो रही थी। डॉक्टरों की सलाह पर एक्सरे कराया गया तो निमोनिया की पुष्टि हुई थी। इसके बाद सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिसमें वे संक्रमित पाए गए। राहत को दिल की बीमारी और डायबिटीज थी। उनके डॉक्टर रवि डोसी ने बताया था कि उन्हें दोनों फेफड़ों में निमोनिया था। सांस लेने में तकलीफ के चलते आईसीयू में रखा गया था।
कुमार विश्वास ने कहा था- गलत आदमी से भिड़ गया कोरोना
कुमार विश्वास ने राहत इंदौरी को कोरोना होने की खबर सुनकर ट्वीट किया था कि कोरोना अबकी बार गलत आदमी से भिड़ गया है। राहत इंदौरी ने खुद ट्वीट कर अपने कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी।
राहत के लिखे गीतों और नज्मों ने न सिर्फ मंचों पर शोहरत हासिल की, बल्कि फिल्मों में भी उनके लिखे गीतों ने अलग ही मुकाम बनाया। 1992 में आई जानम फिल्म में राहत साहब का लिखा एक गीत था- दिल जिगर के जान अच्छा है, इसके बाद 1993 में रिलीज हुई सर के लिए लिखा था- आज हमने दिल का हर किस्सा। इन फिल्मों के बाद उन्होंने 1994 में नाराज के लिए भी गीत लिखे।
टिकटॉक पर वायरल थी – बुलाती है मगर जाने का नईं
राहत साहब की लिखी एक रचना टिकटॉक वीडियोज में सबसे ज्यादा मशहूर थी- बुलाती है मगर जाने का नईं। ये लाइन्स कुछ इस तरह थीं-
बुलाती है मगर जाने का नहीं ये दुनिया है इधर जाने का नहीं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर मगर हद से गुज़र जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले मगर जालिम से डर जाने का नहीं
राहत साहब का आखिरी पोस्ट
कोरोना वायरस संक्रमित होने की खबर के साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर यह लिखा था कि- शाख़ों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम, कोरोना से कोई कह दे कि औक़ात में रहे।
इन फिल्मों के लिए लिखे थे गीत
गीतकार के रूप में राहत इंदौरी ने कई फिल्मों के लिए गीत लिखे। जिनमें सबसे खास मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, जानम, सर, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर, करीब, बेगम जान, घातक, इश्क, आशियां और मैं तेरा आशिक, दरार, गली गली में चोर है, हमेशा, द जेंटजलमेन, पहला सितारा, जुर्म, हनन, इंतेहा, प्रेम अगन, हिमालयपुत्र, पैशन, दिल कितना नादान है, वैपन, बेकाबू, याराना, गुंडाराज, नाजायज, टक्कर, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी और तमन्ना, जैसी फिल्में शामिल हैं।
अनु मलिक के साथ हिट रही जोड़ी
गीतकार-संगीतकार के रूप में राहत साहब के गीतों को सुरों में पिरोने का काम अनु मलिक ने कई बार किया। यह जोड़ी ‘नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम’ और ‘चोरी चोरी जब नजरें मिलीं, पहली शर्त जुदाई है इश्क बड़ा हरजाई है, तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है, दिल को हजार बार रोका टोका, देखले आंखों में आंखें डाल, देखो देखो जानम हम दिल अपना, कोई जाए तो ले आए गीतों को कंपोज कर चुकी है।
टीवी शो में भी पहुंचे थे राहत साहब
पिछले 45 सालों से भी ज्यादा वक्त से राहत साहब मुशायरों की जान हुआ करते थे। मंचों और बड़े पर्दे के लिए गीत लिखने के बाद वे द कपिल शर्मा शो पर भी पहुंचे। पहली बार वे 2017 में शो पर कुमार विश्वास और शबीना अदीब के साथ गए थे। वहीं दूसरी बार अशोक चक्रधर के साथ जुलाई 2019 में पहुंचे थे। वे सब टीवी के शो वाह वाह क्या बात है में भी बतौर मेहमान पहूंचे थे।
राहत अपने बेबाक अदांज और बेहतरीन शायरी के लिए जाने जाते रहे हैं। आइए उनके कुछ शेरों पर नजर डालते हैं…
एक ही शेर उड़ा देगा परखच्चे तेरे… तू समझता है ये शायर है कर क्या लेगा
मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना।
उठा शमशीर, दिखा अपना हुनर, क्या लेगा, ये रही जान, ये गर्दन है, ये सर, क्या लेगा…एक ही शेर उड़ा देगा परखच्चे तेरे, तू समझता है ये शायर है, कर क्या लेगा।
आंखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो…मैं वहीं कागज हूं, जिसकी हुकूमात को हैं तलब, दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो।
घरों के धंसते हुए मंजरों में रक्खे हैं, बहुत से लोग यहां मकबरों में रक्खे हैं…हमारे सर की फटी टोपियों पे तंज न कर, ये डाक्युमेंट हमारे अजायबघरों में रक्खे हैं।
अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी है, ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है। लगेगी आग तो आऐंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है। हमारे मुंह से जो निकले वहीं सदाकत है..हमारे मुंह में तुम्हारी जबान थोड़ी है।
जो आज साहिब-ए-मसनद हैं कल नहीं होंगे, किरायेदार हैं, कोई जाती मकान थोड़ी है…सभी का खून है शामिल यहां की मिट्‌टी में, किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है।