विजय अड़ीचवाल
आज सोम प्रदोष व्रत है।
खेड़ीघाट (मध्य प्रदेश) से 18 किलोमीटर आगे नर्मदा किनारे काकरिया नामक गांव के समीप नर्मदा नदी के बीच गङ्गेश्वर मंदिर है। वहां नर्मदा जी अपने दोनों किनारों पर पश्चिम की ओर बहती है, किन्तु बीच में वे पूर्व दिशा में बहती हैं, वहीं गङ्गा जी प्रकट हुईं है।
उक्त स्थान पर मातङ्ग ऋषि ने कुछ वर्ष तक तपस्या भी की थी।
नर्मदा नदी के दक्षिण तट पर नौगांवा और सामोर गांव के बीच नाग तीर्थ है। यहां उदुम्बर (उमरावती) नदी उत्पन्न हुई है।
नर्मदा जी के दक्षिण तट के माण्डवा गांव के निकट मार्कण्डेय स्थान है।
इसी स्थान पर भगवान लक्ष्मी नारायण ने प्रकट होकर ऋषि मार्कण्डेय को अमर होने का वरदान दिया था।
नर्मदा जी के दक्षिण तट माण्डवा गांव से 7 किलोमीटर दूर अंकलेश्वर में रामकुण्ड तीर्थ है, जहां शाण्डिल्य ऋषि ने तपस्या की थी।
भड़ौच (गुजरात) का प्राचीन नाम भृगु क्षेत्र था। रेवा – सागर सङ्गम तीर्थ पर भगवान परशुराम जी ने शिवजी की तपस्या की थी।
इसी स्थान पर परशुराम जी के माता-पिता भी निवास करने लगे थे। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम भृगु क्षेत्र हो गया था, जो कालान्तर में भड़ौच के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
नर्मदा जी के उत्तर तट पर (गुजरात में) सरस्वती तीर्थ है, जहां बृहस्पति सहित सभी देवताओं ने शिवजी की आराधना कर विद्या प्राप्त की थी।