नई दिल्ली। सालों के इंतजार के बाद आज वो समय है जब भारतीय सेना को और मजबूती देने के लिए राफेल फाइटर प्लान की पहली खेप आज देश में पहुंच जाएगी। हालांकि राफेल पर भी कांग्रेस की ओर से कई सवाल उठाये गए थे इसी बिच एक बार फिर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मौजूदा केंद्र सरकार पर राफेल को लेकर सवाल दागे है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा है की कांग्रेस नेतृत्व में UPA ने 2012 में 126 प्लान की डील की थी। तो पीएम मोदी ने 126 के बजाय 36 राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? उन्होंने कि आख़िर राफ़ेल आ गया। 126 राफ़ेल ख़रीदने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में UPA ने 2012 में फैसला लिया था और 18 राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹746 करोड़ तय की गई थी।
मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ पीएम मोदी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर 126 राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल 36 ख़रीदने का निर्णय ले लिया।
एक राफ़ेल की क़ीमत कांग्रेस सरकार ने ₹746 करोड़ तय की थी लेकिन “चौकीदार” महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मांग करने के बावजूद आज तक एक राफ़ेल कितने में ख़रीदा है, बताने से बच रहे हैं। क्यों? क्योंकि चौकीदार की चोरी उजागर हो जायेगी!! “चौकीदार” अब तो उसकी क़ीमत बता दें!!
राष्ट्रीय सुऱक्षा का आँकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 126 राफ़ेल ख़रीदने की सिफ़ारिश की थी जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी। अब मोदी ने 126 के बजाय 36 राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं। क्या मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?
यदि हम इन प्रश्नों का उत्तर माँगते हैं तो मोदी की ट्रोल आर्मी और उनके “कठपुतली” मीडिया एंकर हमें राष्ट्रद्रोही बताते हैं!! क्या प्रजातंत्रीय व्यवस्था में विपक्ष को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है?